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क्या प्रियंका गांधी कांग्रेस में टूटे रिश्तों को जोड़ने की कोशिश कर रही हैं?

कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी और शशि थरूर की हालिया नाराज़गी के बीच प्रियंका गांधी की मुलाकातें चर्चा का विषय बनी हुई हैं। क्या प्रियंका पार्टी के भीतर टूटे रिश्तों को सुधारने का प्रयास कर रही हैं? संसद में उनकी चुप्पी और मोदी के कटाक्ष ने स्थिति को और भी जटिल बना दिया है। जानिए प्रियंका की सक्रियता और कांग्रेस के लिए यह चुनौती क्यों महत्वपूर्ण है।
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क्या प्रियंका गांधी कांग्रेस में टूटे रिश्तों को जोड़ने की कोशिश कर रही हैं?

कांग्रेस में मनीष तिवारी और शशि थरूर की नाराज़गी

राष्ट्रीय समाचार: कांग्रेस के प्रमुख नेता मनीष तिवारी और शशि थरूर लंबे समय से अपनी नाराज़गी को छुपा रहे थे। हाल ही में प्रियंका गांधी ने इन दोनों नेताओं से मुलाकात की, जिससे राजनीतिक हलकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि क्या प्रियंका पार्टी के भीतर टूटे रिश्तों को सुधारने का प्रयास कर रही हैं। मनीष तिवारी से उनकी मुलाकात संसद परिसर में हुई, जिसका वीडियो भी सामने आया। वहीं, शशि थरूर के साथ उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनीं। इन तस्वीरों ने यह सवाल उठाया कि क्या प्रियंका सच में नाराज़ नेताओं को मनाने का प्रयास कर रही हैं।


संसद में चुप्पी का मुद्दा

जब संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो रही थी, तब तिवारी और थरूर को बोलने का अवसर नहीं दिया गया। दोनों नेता इस विषय पर विदेश में भारत का पक्ष रख चुके थे, लेकिन सदन में चुप रहने के कारण उनकी नाराज़गी स्पष्ट हो गई।


मोदी का कांग्रेस पर कटाक्ष

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में इस नाराज़गी का उल्लेख किया। उन्होंने बिना नाम लिए कांग्रेस पर तंज कसा कि कुछ नेताओं को बोलने का मौका नहीं दिया गया। इस पर शशि थरूर मुस्कुराते हुए नजर आए, जिससे मामला और भी राजनीतिक रंग ले लिया।


प्रियंका गांधी की सक्रियता

वायनाड से सांसद बनने के बाद प्रियंका गांधी संसद में लगातार सक्रिय हैं। वह मोदी सरकार पर तीखे हमले कर रही हैं और पार्टी के भीतर मान-मनौव्वल की जिम्मेदारी भी संभाल रही हैं। यही कारण है कि उनकी हर मुलाकात पर मीडिया की नजर रहती है।


तिवारी की अधूरी ख्वाहिश

रिपोर्टों के अनुसार, मनीष तिवारी ने पार्टी को पत्र लिखकर ऑपरेशन सिंदूर पर बोलने की इच्छा जताई थी, लेकिन मंच दूसरों को दिया गया। थरूर ने भी इस बहस से दूरी बनाई और कहा कि वह भारतीय बंदरगाह विधेयक पर बोलना चाहते हैं।


कांग्रेस के लिए चुनौती

प्रियंका गांधी की कोशिशें यह दर्शाती हैं कि पार्टी के भीतर टूटे मनोबल और नाराज़ नेताओं को एकजुट करना एक बड़ी चुनौती है। यदि कांग्रेस भविष्य में सरकार के खिलाफ एक मजबूत विपक्ष दिखाना चाहती है, तो उसे पहले अपने घर को मजबूत करना होगा।