क्या मनीष कश्यप की जन सुराज में एंट्री से प्रशांत किशोर की रणनीति को मिलेगा नया मोड़?

बिहार की राजनीति में नया समीकरण
बिहार की राजनीतिक परिदृश्य में हाल ही में एक नया समीकरण उभरता नजर आ रहा है। विवादास्पद यूट्यूबर मनीष कश्यप अब प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज में शामिल हो गए हैं। पटना के बापू भवन में प्रशांत किशोर ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई और मंच पर कहा, "मनीष कश्यप केवल यूट्यूबर नहीं, बल्कि बिहार के बेटे हैं।" हालांकि, मनीष की जन सुराज में एंट्री उत्साहजनक है, लेकिन यह कई सवालों के घेरे में भी है।
बीजेपी से नाराजगी और जन सुराज की ओर कदम
मनीष कश्यप ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल हुए थे, लेकिन टिकट न मिलने पर वे नाराज हो गए। जून 2025 में एक अस्पताल विवाद के बाद उन्होंने फेसबुक लाइव के जरिए बीजेपी से अपना नाता तोड़ लिया। इसके कुछ हफ्तों बाद, उन्होंने प्रशांत किशोर और जन सुराज पार्टी से जुड़ने का निर्णय लिया।
पीके की रणनीति में मनीष का योगदान?
मनीष कश्यप के यूट्यूब पर करोड़ों फॉलोअर्स हैं और वे बिहार के भूमिहार समुदाय से आते हैं। उनकी सोशल मीडिया पर मजबूत पकड़ प्रशांत किशोर को उम्मीद दिला रही है कि इससे युवा और भूमिहार वोट बैंक में लाभ होगा। मुजफ्फरपुर और बेगूसराय जैसे क्षेत्रों में उनकी लोकप्रियता जन सुराज को मजबूती प्रदान कर सकती है।
मनीष कश्यप का विवादास्पद अतीत
हालांकि, मनीष कश्यप का विवादास्पद अतीत जन सुराज के लिए एक राजनीतिक चुनौती भी बन सकता है। उन पर मुस्लिम विरोधी बयानों, भड़काऊ वीडियो और महात्मा गांधी की हत्या को "जायज" ठहराने के आरोप लगे हैं। उन्होंने अपने साथियों के साथ गांधी की हत्या पर जश्न मनाने की बात भी कही थी। इसके अलावा, वे हिंदू पुत्र संगठन जैसे विवादास्पद संगठनों से भी जुड़े रहे हैं, जिन पर सांप्रदायिक तनाव फैलाने के आरोप हैं।
जन सुराज की गांधीवादी छवि पर प्रभाव
जन सुराज पार्टी खुद को गांधीवादी विचारधारा से जोड़ती है, और इसके झंडे पर गांधी की तस्वीर है। ऐसे में मनीष कश्यप जैसे व्यक्तित्व को पार्टी में शामिल करना प्रशांत किशोर की विचारधारा पर सवाल उठाता है। इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर पीके की आलोचना हो रही है, खासकर सेकुलर और मुस्लिम वोटरों के बीच।