क्या ममता बनर्जी और टाटा समूह के बीच बढ़ रहा है सामंजस्य? जानें पूरी कहानी

ममता बनर्जी का संघर्ष और राजनीतिक सफलता
पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा के शासन के खिलाफ ममता बनर्जी ने कई वर्षों तक संघर्ष किया। उनकी राजनीतिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण मोड़ 2006 में आया, जब उन्होंने सिंगूर में टाटा मोटर्स के लिए किसानों की भूमि के कथित जबरन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व किया। इसके बाद, 2007 में नंदीग्राम में हुए हिंसक संघर्ष ने उनके आंदोलन को और मजबूती दी। इन घटनाओं के परिणामस्वरूप, 2011 में उन्हें सत्ता में आने का अवसर मिला, जिससे वामपंथी दलों के 34 वर्षों के शासन का अंत हुआ।
ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया
2008 में, टाटा समूह के पूर्व प्रमुख रतन टाटा ने घोषणा की कि कंपनी सिंगूर से अपना प्लांट हटाकर गुजरात जा रही है। उन्होंने इसके लिए ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यह निर्णय उनके कारण हुआ। ममता बनर्जी ने इस टिप्पणी को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया।
ममता बनर्जी और टाटा समूह के बीच नई शुरुआत
Smt. @MamataOfficial hosted Shri Natarajan Chandrasekaran, Chairman of Tata Sons and the Tata Group, for a constructive dialogue on Bengal’s industrial growth and emerging opportunities.
— All India Trinamool Congress (@AITCofficial) July 9, 2025
The meeting reflected Bengal’s commitment to fostering meaningful public-private… pic.twitter.com/WFXEQs0WVU
लगभग दो दशकों के बाद, ममता बनर्जी और टाटा समूह के बीच की दूरी कम होती दिखाई दे रही है। हाल ही में, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में टाटा संस और टाटा मोटर्स के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन से पहली बार मुलाकात की। तृणमूल कांग्रेस के अनुसार, इस बैठक का उद्देश्य राज्य में टाटा समूह की उपस्थिति को बढ़ाना था।
बैठक की सकारात्मक चर्चा
तृणमूल कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर बैठक की तस्वीरें साझा कीं, जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एन चंद्रशेखरन का स्वागत किया और बंगाल में औद्योगिक संभावनाओं पर सकारात्मक चर्चा की। इस बातचीत में सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने और नवाचार, निवेश और समावेशी विकास के लिए सहयोग की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की गई।
इससे पहले, बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट के दौरान ममता बनर्जी ने चंद्रशेखरन से फोन पर बातचीत का उल्लेख किया था, जिसमें उन्होंने बताया कि समूह बंगाल में निवेश के लिए उत्साहित है। उन्होंने कोलकाता से यूरोप के लिए सीधी उड़ान की मांग भी की थी, जिस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी।