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क्या महा विकास अघाड़ी में टूट का खतरा? बीएमसी चुनावों में कांग्रेस की स्थिति कमजोर

Maharashtra's political landscape is heating up as the Maha Vikas Aghadi (MVA) coalition faces significant tensions ahead of the BMC elections. Congress has declared its intention to contest independently, rejecting any alliance with Raj Thackeray's party. Meanwhile, the NCP appears to be leaning towards an alliance with the Thackeray brothers, creating a rift within the coalition. This article delves into the implications of these developments and the potential impact on the upcoming elections, highlighting the differing views within Congress and the strategic moves by the NCP.
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क्या महा विकास अघाड़ी में टूट का खतरा? बीएमसी चुनावों में कांग्रेस की स्थिति कमजोर

मुंबई में महा विकास अघाड़ी में बढ़ता तनाव


मुंबई: बीएमसी और अन्य स्थानीय निकाय चुनावों से पहले महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। कांग्रेस ने स्पष्ट कर दिया है कि वह चुनाव अकेले लड़ेगी और राज ठाकरे की पार्टी की एंट्री को स्वीकार नहीं करेगी। वहीं, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और एनसीपी (शरद पवार गुट) इस मुद्दे पर अलग-अलग रुख अपना रहे हैं। ऐसे में यह स्पष्ट होता जा रहा है कि एनसीपी शरद पवार गुट कांग्रेस से दूरी बनाकर ठाकरे भाइयों के साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है।


बीएमसी चुनाव की तैयारी में महत्वपूर्ण संकेत

बीएमसी चुनाव को लेकर शरद पवार गुट द्वारा आयोजित बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लेने के संकेत मिले हैं। इस बैठक में सांसद सुप्रिया सुले, विधायक जितेंद्र आह्वाड और राखी जाधव जैसे कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। सूत्रों के अनुसार, सभी नेताओं ने सुझाव दिया कि पार्टी को उद्धव ठाकरे की शिवसेना और राज ठाकरे की मनसे के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए। यह निर्णय कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि वह एमवीए में मनसे की उपस्थिति का विरोध करती रही है।


एनसीपी का गठबंधन पर रुख

शरद पवार गुट के एक नेता ने स्पष्ट किया कि भाजपा को छोड़कर किसी भी अन्य दल के साथ गठबंधन पर उनकी पार्टी को कोई आपत्ति नहीं है। यह संकेत सीधे तौर पर मनसे को भी शामिल करता है, जिसके बारे में कांग्रेस असहज है। पिछले सप्ताह, मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष वर्षा गायकवाड सहित कई नेताओं ने शरद पवार से मिलकर कांग्रेस-एनसीपी की मजबूत साझेदारी बनाए रखने का अनुरोध किया था, लेकिन मनसे को लेकर दोनों के विचार मेल नहीं खा सके।


शरद पवार के निर्णय का इंतजार

22 नवंबर को अपने नेताओं की बैठक के बाद शरद पवार से जिस महत्वपूर्ण निर्णय की उम्मीद की जा रही थी, वह अब लगभग स्पष्ट हो चुका है। पार्टी नेताओं ने ठाकरे भाइयों के साथ जाने का सुझाव दिया है, जिससे यह तय हो गया है कि शरद पवार कांग्रेस की बजाय शिवसेना (उद्धव गुट) और मनसे के साथ गठबंधन के रास्ते पर चलेंगे।


कांग्रेस में भी मतभेद

मनसे को लेकर कांग्रेस में भी मतभेद उभरने लगे हैं। वरिष्ठ कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि भाजपा को रोकने के लिए सभी को एकजुट होना चाहिए, और मनसे से गठबंधन पर विचार किया जा सकता है। लेकिन मुंबई कांग्रेस प्रमुख वर्षा गायकवाड ने इसका कड़ा विरोध करते हुए स्पष्ट किया कि मुंबई कांग्रेस ने तय किया है कि वे लड़ाई और झगड़े की राजनीति करने वाली पार्टियों के साथ नहीं जाएंगे। इसके साथ ही पार्टी का रुख स्पष्ट हो गया है कि बीएमसी चुनाव वह अकेले लड़ेगी।


संजय राउत का कांग्रेस पर तंज

उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मनसे को लेकर कांग्रेस का कहना है कि वह दिल्ली से अनुमति के बिना किसी गठबंधन पर निर्णय नहीं ले सकती। राउत ने सोशल मीडिया पर भी लिखा कि शिवसेना और मनसे पहले ही जनता के बीच एक साथ दिखाई दे रहे हैं और इसके लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि शरद पवार और लेफ्ट पार्टियां शिवसेना के साथ खड़ी हैं और यह गठबंधन मुंबई को बचाने के लिए तैयार है।