क्या राहुल गांधी को लोकसभा से इस्तीफा देना चाहिए? BJP का कड़ा सवाल

BJP का राहुल गांधी पर हमला
BJP vs Rahul Gandhi: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी पर तीखा हमला करते हुए कहा है कि यदि उन्हें चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर संदेह है, तो उन्हें लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देना चाहिए। भाजपा के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि राहुल गांधी के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं और इनमें कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों पर भी निशाना
भाटिया ने कांग्रेस नेतृत्व पर भी हमला करते हुए कहा कि यदि पार्टी को चुनाव प्रक्रिया पर भरोसा नहीं है, तो कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश जैसे कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो बातें उन्हें पसंद आएं, उन्हें मान लें और जो प्रतिकूल हों, उन्हें अस्वीकार कर दें। यह तरीका लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट का संदर्भ
भाजपा प्रवक्ता ने चुनाव आयोग की साख की रक्षा करते हुए सुप्रीम कोर्ट के एक पुराने फैसले का उल्लेख किया, जिसमें चुनाव आयोग को एक निष्पक्ष संस्था के रूप में मान्यता दी गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस केवल उन निर्णयों को स्वीकार करती है जो उनके पक्ष में होते हैं और प्रतिकूल निर्णयों को खारिज कर देती है।
हलफनामे का विवाद
विवाद तब शुरू हुआ जब चुनाव आयोग ने राहुल गांधी से उनके हालिया 'वोट चोरी' के दावे के समर्थन में हलफनामा दाखिल करने को कहा। राहुल गांधी ने कहा कि उन्होंने संसद में संविधान की शपथ ली है, और यही उनकी प्राथमिक प्रतिबद्धता है।
भाजपा का पलटवार
भाजपा का मानना है कि कांग्रेस लगातार लोकतांत्रिक संस्थाओं की छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रही है। भाटिया ने कहा कि चुनाव आयोग की गरिमा पर इस तरह के बेबुनियाद आरोप लगाना न केवल गलत है, बल्कि यह लोकतंत्र की नींव को कमजोर करने जैसा है। उन्होंने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा प्रमाणित संस्थाओं पर सवाल उठाना राजनीतिक अवसरवादिता का उदाहरण है।
राजनीतिक माहौल में बयानबाजी
इस बयानबाजी के साथ भाजपा और कांग्रेस के बीच टकराव और बढ़ने की संभावना है। राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं, जबकि भाजपा इसे लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ सुनियोजित हमले के रूप में देख रही है। यह विवाद भविष्य में संसद के भीतर और बाहर राजनीतिक गर्मी को और बढ़ा सकता है।