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क्या शशि थरूर की कांग्रेस बैठक में वापसी है सुलह का संकेत?

Shashi Tharoor, the senior Congress MP from Thiruvananthapuram, made a notable appearance at the Congress Working Committee meeting after a long absence. His presence has raised eyebrows in political circles, especially given his recent absence from key meetings and statements that diverged from the party line. While some view this as a potential reconciliation with party leadership, others see it as a strategic move in light of upcoming political events. Tharoor's silence upon arrival at the Congress headquarters further adds to the intrigue surrounding his intentions. Will this return lead to a significant shift within the party dynamics? Read on to find out more.
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क्या शशि थरूर की कांग्रेस बैठक में वापसी है सुलह का संकेत?

शशि थरूर की कांग्रेस वर्किंग कमिटी में उपस्थिति


नई दिल्ली: तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लंबे समय बाद पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया। उनकी उपस्थिति को राजनीतिक हलकों में विशेष महत्व दिया जा रहा है। हाल के दिनों में थरूर की अनुपस्थिति और पार्टी के खिलाफ उनके बयानों ने यह कयास लगाए थे कि वे कांग्रेस नेतृत्व से असंतुष्ट हैं। ऐसे में उनकी बैठक में उपस्थिति कई सवालों को जन्म देती है।


बैठकों से दूरी ने बढ़ाई चर्चाएं

थरूर ने पिछले कुछ महीनों में कई महत्वपूर्ण कांग्रेस बैठकों में भाग नहीं लिया। संसद के शीतकालीन सत्र के लिए बुलाई गई रणनीतिक बैठक में भी उनकी अनुपस्थिति रही। इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी मौजूद थे। इसके अलावा, 18 नवंबर को आयोजित एक अन्य महत्वपूर्ण बैठक में भी थरूर नहीं आए।


राहुल गांधी द्वारा बुलाई गई लोकसभा सांसदों की बैठक में भी उनकी अनुपस्थिति ने राजनीतिक चर्चाओं को और बढ़ावा दिया। लगातार बैठकों से दूर रहने के कारण यह सवाल उठने लगे थे कि क्या थरूर और कांग्रेस नेतृत्व के बीच सब कुछ ठीक नहीं है।


गैरहाजिरी की सफाई

हालांकि, थरूर ने अपनी अनुपस्थिति के लिए हर बार स्पष्टीकरण दिया। शीतकालीन सत्र की रणनीति बैठक से अनुपस्थित रहने पर उन्होंने बताया कि वह अपनी बुजुर्ग मां के साथ केरल में हैं और पारिवारिक कारणों से दिल्ली नहीं आ सके। उनके समर्थकों का कहना है कि उनकी अनुपस्थिति को नाराजगी के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि यह निजी कारणों से जुड़ी रही है।




विवादित बयानों का असर

थरूर हाल के समय में अपने बयानों के कारण भी चर्चा में रहे हैं। उन्होंने कई मौकों पर ऐसे बयान दिए हैं जो कांग्रेस की आधिकारिक नीति से भिन्न थे। उदाहरण के लिए, वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी को निमंत्रण नहीं मिला था।


कांग्रेस मुख्यालय में मीडिया का ध्यान

जब थरूर कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक के दिन दिल्ली स्थित इंदिरा भवन पहुंचे, तो मीडिया की नजरें उन पर थीं। उन्होंने पत्रकारों को हाथ जोड़कर अभिवादन किया और बिना कोई बयान दिए अंदर चले गए। उनकी यह चुप्पी भी कई राजनीतिक संकेत देती है।


सुलह या रणनीतिक कदम?

कुछ लोग थरूर की बैठक में उपस्थिति को कांग्रेस नेतृत्व के साथ सुलह की कोशिश मानते हैं, जबकि अन्य इसे आगामी राजनीतिक घटनाक्रमों के संदर्भ में एक रणनीतिक कदम मानते हैं। पार्टी के भीतर चर्चा है कि नेतृत्व चाहता है कि वरिष्ठ नेता एकजुटता का संदेश दें, खासकर जब विपक्षी गठबंधन और चुनावों का माहौल गर्म है।


भविष्य की दिशा

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि थरूर की यह वापसी केवल औपचारिक है या इससे पार्टी के भीतर समीकरणों में कोई ठोस बदलाव आएगा। फिलहाल, उनकी उपस्थिति ने यह स्पष्ट कर दिया है कि थरूर ने पार्टी मंच से दूरी बनाने का इरादा नहीं जताया है।