क्या है जी राम जी विधेयक? जानें इसके पीछे का विवाद और राजनीतिक प्रभाव
संसद में जी राम जी विधेयक का पारित होना
नई दिल्ली: विकसित भारत गारंटी रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, जिसे जी राम जी के नाम से जाना जाता है, संसद के दोनों सदनों से केवल दो दिनों में पारित हो गया। इसे यूपीए सरकार की महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अधिनियम (MGNREGA) का नया संस्करण माना जा रहा है। हालांकि, इसके नाम और प्रावधानों को लेकर संसद में तीव्र विरोध हुआ।
विरोध प्रदर्शन का सिलसिला
गुरुवार को लोकसभा में भारी विरोध और नारेबाजी के बावजूद विधेयक पारित किया गया। इसके बाद, राज्यसभा में देर रात तक बहस चली और लगभग 12:15 बजे इसे ध्वनि मत से मंजूरी दी गई। विपक्ष ने विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने और इसे वापस लेने की मांग की, लेकिन सरकार ने इन दोनों मांगों को ठुकरा दिया।
महात्मा गांधी का नाम हटाने पर विवाद
विधेयक में महात्मा गांधी का नाम हटाकर 'जी राम जी' रखने पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे गरीबों के खिलाफ बताते हुए सरकार पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों के नाम पर बातें करती है, लेकिन उसके निर्णय उनके लिए हानिकारक हैं। खड़गे ने ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान से अपील की कि अभी भी समय है, कानून को वापस लिया जाए।
खड़गे का भावुक भाषण
अपने भाषण में खड़गे भावुक हो गए और अपनी दिवंगत मां और भारत माता की कसम खाते हुए कहा कि यह कानून गरीबों के लिए हानिकारक है। उन्होंने सरकार को याद दिलाया कि जैसे कृषि कानून वापस लिए गए थे, वैसे ही यह कानून भी वापस लिया जा सकता है।
अन्य विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ'ब्रायन ने आरोप लगाया कि केंद्र ने पश्चिम बंगाल में मनरेगा को बंद कर दिया, जिसके कारण राज्य सरकार को अपनी योजना शुरू करनी पड़ी। उन्होंने यह भी कहा कि विधेयक पारित होने के दिन ही पश्चिम बंगाल सरकार ने अपनी योजना का नाम बदलकर महात्मा के नाम पर रखा, जो केंद्र के निर्णय के खिलाफ एक संदेश है। बहस के बाद तृणमूल और अन्य दलों के सांसदों ने संसद परिसर में धरना भी दिया।
सरकार का जवाब
जब केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जवाब देने के लिए खड़े हुए, तो विपक्ष ने 'काला विधेयक वापस लो' के नारे लगाए और अंततः सदन से बाहर चले गए। इस पर नाराज चौहान ने कहा कि आरोप लगाकर भाग जाना गांधी के आदर्शों के खिलाफ है। उन्होंने कांग्रेस पर मनरेगा को भ्रष्टाचार का माध्यम बनाने का आरोप लगाया और कहा कि नया कानून व्यापक विचार-विमर्श के बाद लाया गया है।
जी राम जी विधेयक में बदलाव
सरकार का कहना है कि 20 साल पुरानी मनरेगा योजना में सुधार आवश्यक था। नए कानून में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी को बढ़ाकर 125 दिन कर दिया गया है। हालांकि, अब रोजगार पूर्व-स्वीकृत योजनाओं से जोड़ा गया है। कार्य को चार श्रेणियों में बांटा गया है: जल सुरक्षा, ग्रामीण ढांचा, आजीविका संपत्ति और जलवायु अनुकूलन।
विपक्ष की चिंताएं
विपक्ष का आरोप है कि नया कानून मनरेगा की मूल आत्मा को समाप्त कर देता है। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि इसमें न तो रोजगार की वास्तविक गारंटी है, न आजीविका की सुरक्षा। आलोचकों का कहना है कि यह कानून ग्रामीण गरीबों की जरूरतों के बजाय सरकारी योजनाओं पर केंद्रित है।
राजनीतिक प्रभाव
जी राम जी विधेयक के पारित होने से ग्रामीण रोजगार नीति में बड़ा बदलाव आने की संभावना है। जबकि सरकार इसे सुधार और विस्तार बता रही है, विपक्ष इसे गरीब विरोधी कदम मान रहा है। भविष्य में यह कानून राजनीति और जमीनी स्तर पर एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
