गर्भवती महिलाओं और बच्चों के पोषण पर कलेक्टर के सख्त निर्देश

गर्भवती महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की प्राथमिकता
जिले के कलेक्टर ने गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों के स्वास्थ्य को समाज के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानते हुए सभी संबंधित अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कुपोषण को समाप्त करना और सभी को स्वस्थ रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।कलेक्टर ने एकीकृत बाल विकास सेवाओं (ICDS) और आंगनवाड़ी केंद्रों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उनका मानना है कि आंगनवाड़ी केंद्र गर्भवती महिलाओं को आवश्यक पोषण संबंधी सहायता, पूरक आहार और नियमित स्वास्थ्य जांच प्रदान करने में महत्वपूर्ण हैं। बच्चों के लिए भी, प्रारंभिक विकास के चरण में सही पोषण अत्यंत आवश्यक है।
मुख्य निर्देश और प्राथमिकताएं:
1. नियमित पूरक आहार वितरण: कलेक्टर ने यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि 'टेक-होम राशन' और पूरक आहार का वितरण नियमित रूप से और बिना किसी रुकावट के हो। इसकी गुणवत्ता और मात्रा पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
2. बच्चों की वृद्धि की निगरानी: सभी आंगनवाड़ी केंद्रों पर बच्चों के वजन और ऊंचाई की नियमित निगरानी की जानी चाहिए, ताकि कुपोषण के लक्षणों का समय पर पता चल सके।
3. जागरूकता और परामर्श: गर्भवती महिलाओं और माताओं को उचित खानपान, स्वच्छता और बच्चों की देखभाल के बारे में जागरूकता प्रदान की जानी चाहिए। एनीमिया जैसी समस्याओं से निपटने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए।
4. अंतर-विभागीय तालमेल: स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल कल्याण विभाग और अन्य संबंधित विभागों के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि पोषण कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सके।
5. गुणवत्ता पर ध्यान: वितरित किए जा रहे पोषण युक्त भोजन और सप्लीमेंट्स की गुणवत्ता की नियमित जांच की जानी चाहिए।