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गिग कर्मियों का संगठित संघर्ष: भारत में पहली बार हड़ताल

भारत में गिग कर्मियों ने पहली बार संगठित होकर हड़ताल की है, जिसमें अमेजन, फ्लिपकार्ट, और अन्य प्लेटफॉर्म शामिल हैं। यह हड़ताल उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। कर्मियों की शिकायतें हैं कि उनकी आय घट रही है और उन्हें कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं मिल रही। जानें इस संघर्ष के पीछे की कहानी और इसके महत्व के बारे में।
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गिग कर्मियों का संगठित संघर्ष: भारत में पहली बार हड़ताल

गिग कर्मियों की स्थिति पर चर्चा

यह सवाल लंबे समय से उठता रहा है कि क्या गिग कर्मियों को संगठित किया जा सकता है और क्या वे अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर लड़ाई लड़ सकते हैं। हाल के घटनाक्रमों ने इस पर नई रोशनी डाली है।


गिग कर्मियों की पहचान

ऐप आधारित गिग कर्मियों को 'कर्मचारी' या 'मजदूर वर्ग' में शामिल किया जाए या नहीं, यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। प्लेटफॉर्म कंपनियां अक्सर इन कर्मियों को 'पार्टनर' कहकर अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश करती हैं। वहीं, कई गिग कर्मी अपने काम को स्व-रोजगार मानने में गर्व महसूस करते हैं। पहले जब प्लेटफॉर्म कंपनियां इन कर्मियों को अधिक लाभ दे रही थीं, तब वे इस शब्दावली से संतुष्ट थे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं।


हड़ताल का आयोजन

क्रिसमस के दिन, भारत में पहली बार अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्विजी, जमैटो, ब्लिंकिट, और जेप्टो जैसे प्लेटफॉर्म से जुड़े कर्मियों ने हड़ताल की। उनकी अगली हड़ताल 31 दिसंबर को निर्धारित है। इन कर्मियों के संगठन का कहना है कि 25 दिसंबर को प्लेटफॉर्म कंपनियों ने प्रोत्साहन राशि देकर हड़ताल को विफल करने की कोशिश की, लेकिन वे 31 दिसंबर को ऐसा नहीं होने देंगे। इस हड़ताल का आह्वान इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स और तेलंगाना गिग एंड प्लैटफॉर्म वर्कर्स यूनियन ने किया है।


संगठित संघर्ष का महत्व

इससे पहले, डिलीवरी राइडर्स, होम सर्विस वर्कर्स, और कैब ड्राइवर्स ने विभिन्न शहरों में विरोध प्रदर्शन किए हैं, लेकिन यह पहला अवसर है जब वे राष्ट्रीय स्तर पर संगठित होकर संघर्ष के लिए आगे आए हैं। उनकी शिकायतें हैं कि उन्हें मिलने वाली राशि में कमी आई है, डिलीवरी का समय घटाया गया है, और कंपनियां बिना किसी सूचना के उनके ऐप को डिसेबल कर देती हैं। इसके अलावा, उन्हें कोई सामाजिक सुरक्षा भी नहीं मिलती। भारत में गिग वर्कर्स की संख्या 1.25 करोड़ से अधिक है, और इस क्षेत्र का दायरा बढ़ता जा रहा है, लेकिन कार्य स्थितियां बिगड़ती जा रही हैं। अब गिग कर्मियों में श्रमिकों की तरह संघर्ष करने की भावना जागृत हो रही है।