गुजरात उपचुनाव में हार के बाद बीजेपी की बौखलाहट, 'आप' विधायक की गिरफ्तारी पर सियासत गरमाई

बीजेपी की हार पर प्रतिक्रिया
गुजरात के विसावदर विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी को मिली हार को पार्टी सहन नहीं कर पा रही है। नतीजों के कुछ ही दिन बाद, बीजेपी ने 'आप' विधायक चैतर बसावा को गिरफ्तार कर अपनी निराशा जाहिर की। आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल, गुजरात प्रभारी गोपाल राय, सह प्रभारी दुर्गेश पाठक और प्रदेश अध्यक्ष इशुदान गढ़वी ने इस गिरफ्तारी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
चैतर बसावा की गिरफ्तारी पर 'आप' का आरोप
'आप' का कहना है कि विधायक चैतर बसावा ने जब भ्रष्टाचार का खुलासा किया, तो बीजेपी सरकार बौखला गई। पहले बीजेपी ने उन पर हमले करवाए, और जब वे पुलिस में शिकायत करने गए, तो उल्टे उन पर झूठा मामला दर्ज कर लिया गया। 'आप' के नेता और कार्यकर्ता बीजेपी के भ्रष्टाचार को उजागर करने से नहीं डरेंगे।
केजरीवाल का बयान
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि चैतर बसावा की गिरफ्तारी बीजेपी की हार की बौखलाहट का संकेत है। उन्होंने कहा कि गुजरात में 'आप' विधायक को गिरफ्तार करना बीजेपी की एक बड़ी गलती है। गुजरात की जनता अब बीजेपी के कुशासन और तानाशाही से तंग आ चुकी है।
गोपाल राय की प्रतिक्रिया
गुजरात प्रभारी गोपाल राय ने कहा कि चैतर बसावा की गिरफ्तारी शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि बीजेपी की हार से तिलमिलाई हुई है और ऐसी हरकतों से 'आप' नहीं डरने वाली। गुजरात की जनता अब बीजेपी के दमन का जवाब देगी।
दुर्गेश पाठक का बयान
गुजरात 'आप' के सह प्रभारी दुर्गेश पाठक ने कहा कि जब बीजेपी डरती है, तो वह पुलिस का सहारा लेती है। चैतर बसावा ने जब बीजेपी के नेताओं के भ्रष्टाचार का खुलासा किया, तो बीजेपी ने पुलिस को आगे कर दिया। 'आप' के नेता न तो तानाशाही से डरते हैं और न ही पुलिस की धमकियों से झुकते हैं।
ईशुदान गढ़वी का आरोप
गुजरात प्रदेश अध्यक्ष ईशुदान गढ़वी ने कहा कि बीजेपी विसावदर चुनाव हारने के बाद बौखला गई है। उन्होंने बताया कि चैतर बसावा पर हमले की योजना बनाई गई थी। जब उन्होंने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया, तो उन पर हमला किया गया। यह सब बीजेपी की आदिवासी विरोधी नीति को दर्शाता है।
लोकतंत्र पर खतरा
ईशुदान गढ़वी ने कहा कि जब चैतर बसावा ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, तो उल्टे उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। यह गुजरात में लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। अगर एक विधायक को दबाया जा रहा है, तो आम जनता का क्या होगा?