गौतम गंभीर और पिच क्यूरेटर के बीच विवाद: क्या होगी कार्रवाई?

गौतम गंभीर का विवादास्पद प्रकरण
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर इंग्लैंड के खिलाफ होने वाले पांचवें टेस्ट से पहले एक विवाद में उलझ गए हैं। ओवल मैदान पर प्रैक्टिस सेशन के दौरान उनकी पिच क्यूरेटर ली फोर्टिस के साथ तीखी बहस हुई। इस विवाद ने इतना तूल पकड़ा कि फोर्टिस ने गंभीर के खिलाफ शिकायत करने की धमकी दी। हालांकि, बाद में उन्होंने मामले को आगे न बढ़ाने का निर्णय लिया, लेकिन इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि यदि शिकायत होती, तो गंभीर को कितनी गंभीर सजा मिल सकती थी?
विवाद की शुरुआत
यह विवाद ओवल में प्रैक्टिस के दौरान शुरू हुआ। भारतीय बल्लेबाजी कोच सितांशु कोटक के अनुसार, क्यूरेटर ली फोर्टिस ने भारतीय सपोर्ट स्टाफ पर चिल्लाते हुए उन्हें पिच से ढाई मीटर दूर रहने को कहा। फोर्टिस का व्यवहार काफी कठोर था, जिससे गंभीर भड़क गए। रिपोर्टों के अनुसार, गंभीर ने गुस्से में फोर्टिस को 'सिर्फ एक ग्राउंड्समैन' कहा और कुछ अपशब्दों का भी प्रयोग किया।
भेदभाव का आरोप
इस मामले में दोहरे मापदंड का आरोप भी लगाया गया है। खबरों के अनुसार, जहां फोर्टिस ने भारतीय स्टाफ को पिच देखने से रोका, वहीं इंग्लैंड के कोच ब्रेंडन मैक्कलम को ऐसा करने से नहीं रोका गया। इस भेदभावपूर्ण व्यवहार पर पूर्व भारतीय क्रिकेटर इरफान पठान और आकाश चोपड़ा ने भी सवाल उठाए हैं।
संभावित कार्रवाई
यदि पिच क्यूरेटर ली फोर्टिस इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ECB) या आईसीसी में औपचारिक शिकायत दर्ज कराते, तो मामला आईसीसी की आचार संहिता के तहत आता। नियमों के अनुसार, गौतम गंभीर पर कार्रवाई उनके व्यवहार की गंभीरता पर निर्भर करती। यदि आईसीसी जांच में उनके व्यवहार को लेवल 1 का मामूली उल्लंघन माना जाता, तो उन्हें केवल एक औपचारिक चेतावनी या मैच फीस का 50% तक जुर्माना लगाया जा सकता था।
गंभीर उल्लंघन की स्थिति
हालांकि, यदि उनके आक्रामक रवैये और अपशब्दों के प्रयोग को गंभीर उल्लंघन माना जाता, तो यह लेवल 2 या 3 के अपराध की श्रेणी में आता। लेवल 2 के अपराध के लिए उन पर 50 से 100% मैच फीस का जुर्माना और एक टेस्ट या दो वनडे/टी20 मैचों का प्रतिबंध लग सकता था। वहीं, यदि इसे लेवल 3 का अपराध माना जाता, तो उन्हें 4 से 8 सस्पेंशन पॉइंट मिल सकते थे, जिसका परिणाम 2 से 4 टेस्ट मैचों का निलंबन हो सकता था।
कार्रवाई की प्रक्रिया
यदि शिकायत दर्ज होती, तो आईसीसी की अनुशासनात्मक कमेटी एक जांच बैठाती। इस जांच में मैच रेफरी, गौतम गंभीर, क्यूरेटर ली फोर्टिस और अन्य गवाहों के बयान दर्ज किए जाते। सभी सबूतों और बयानों के आधार पर ही कमेटी सजा पर अंतिम निर्णय लेती। फिलहाल, क्यूरेटर द्वारा शिकायत वापस लेने से मामला शांत हो गया है।