Newzfatafatlogo

चंडीगढ़ के प्रशासनिक दर्जे पर केंद्र का स्पष्टीकरण, पंजाब में सियासी हलचल कम होने की उम्मीद

चंडीगढ़ के प्रशासनिक दर्जे को लेकर पंजाब में चल रही राजनीतिक हलचल के बीच, केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि संसद के शीतकालीन सत्र में इस विषय पर कोई विधेयक पेश नहीं किया जाएगा। इस स्पष्टीकरण ने पंजाब के नेताओं की चिंताओं को दूर किया है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है और इससे पंजाब की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा।
 | 
चंडीगढ़ के प्रशासनिक दर्जे पर केंद्र का स्पष्टीकरण, पंजाब में सियासी हलचल कम होने की उम्मीद

चंडीगढ़ का प्रशासनिक दर्जा: केंद्र का स्पष्ट बयान

चंडीगढ़: हाल के दिनों में चंडीगढ़ के प्रशासनिक स्थिति को लेकर पंजाब की राजनीति में हलचल मची हुई थी। अटकलें थीं कि केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ के संविधानिक दर्जे में महत्वपूर्ण बदलाव करने की योजना बना रही है। इस पर पंजाब सरकार, कांग्रेस और अकाली दल ने एकजुट होकर विरोध जताया। लेकिन अब केंद्र ने इन चिंताओं को खारिज करते हुए अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।


राजनीतिक हलकों में चर्चा थी कि केंद्र सरकार 1 से 19 दिसंबर तक चलने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में एक ऐसा विधेयक पेश कर सकती है, जिसके तहत चंडीगढ़ को संविधान के आर्टिकल 239 से हटाकर आर्टिकल 240 के तहत लाया जाएगा। यदि ऐसा होता, तो चंडीगढ़ पूरी तरह से एक केंद्र शासित प्रदेश बन जाता, जहाँ प्रशासनिक अधिकार सीधे राष्ट्रपति और केंद्र सरकार के पास होते। पंजाब के नेताओं को इस बदलाव से डर था कि इससे चंडीगढ़ पर पंजाब का पारंपरिक और प्रशासनिक नियंत्रण समाप्त हो जाएगा। इसी कारण राज्य के सभी प्रमुख दलों ने इसका विरोध किया था।


विवाद बढ़ता देख केंद्र सरकार ने एक आधिकारिक बयान जारी कर स्थिति को स्पष्ट किया। सरकार ने कहा कि संसद के शीतकालीन सत्र में चंडीगढ़ के स्टेटस को बदलने वाला कोई भी विधेयक लाने की योजना नहीं है। जो प्रस्ताव वर्तमान में विचाराधीन है, उसका उद्देश्य केवल 'केंद्र सरकार द्वारा कानून बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाना' है। इस पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।


केंद्र ने पंजाब और हरियाणा की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कहा कि इस प्रस्ताव में चंडीगढ़ की मौजूदा शासन-प्रशासन व्यवस्था या दोनों राज्यों के साथ चंडीगढ़ के 'परंपरागत संबंधों' को बदलने का कोई इरादा नहीं है। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखते हुए और सभी हितधारकों से पर्याप्त विचार-विमर्श करने के बाद ही भविष्य में कोई उचित निर्णय लिया जाएगा।


सरकार के बयान में कहा गया है- 'इस विषय पर चिंता की कोई आवश्यकता नहीं है। आने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में इस आशय का कोई विधेयक प्रस्तुत करने की केंद्र सरकार की कोई योजना नहीं है।' इस स्पष्टीकरण के बाद उम्मीद है कि पंजाब में इस मुद्दे पर गर्माया सियासी माहौल कुछ शांत होगा।