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चंडीगढ़ में ऐतिहासिक न्याय: दुष्कर्म और हत्या के दोषी को मिली फांसी

चंडीगढ़ की अदालत ने एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए दुष्कर्म और हत्या के दोषी को फांसी की सजा सुनाई है। यह फैसला न केवल पीड़ित परिवार के लिए न्याय है, बल्कि समाज में मासूमों की सुरक्षा का प्रतीक भी बन गया है। इस मामले में आरोपी ने बच्ची का अपहरण कर दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी। अदालत ने इस अपराध को मानवता के खिलाफ सबसे अमानवीय बताया और समाज में ऐसे अपराधियों के लिए कोई स्थान नहीं होने का संदेश दिया।
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चंडीगढ़ में ऐतिहासिक न्याय: दुष्कर्म और हत्या के दोषी को मिली फांसी

चंडीगढ़ में न्याय का ऐतिहासिक फैसला


चंडीगढ़ समाचार: चंडीगढ़ की न्यायिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण घटना घटी है, जब पहली बार किसी दुष्कर्म और हत्या के आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई। यह निर्णय न केवल एक परिवार को न्याय दिलाने में सहायक रहा, बल्कि पूरे राज्य में यह संदेश भी दिया कि मासूमों के प्रति अपराध करने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा। हीरा लाल उर्फ गुड्डू को यह सजा दी गई है, जिसने 19 जनवरी 2024 को हल्लोमाजरा में एक 8 वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या कर दी थी।


यह घटना तब हुई जब बच्ची पड़ोस की दुकान से सामान लेने गई थी, लेकिन वापस नहीं लौटी। परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई की और एक पड़ोसी के घर से खून से सनी रजाई और चाकू बरामद किया, जबकि आरोपी मौके से भाग निकला था। दो दिन बाद बच्ची का शव रामदरबार के पास जंगल में मिला, जिससे पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया। इस जघन्य अपराध की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया गया, जिसने तकनीकी निगरानी के आधार पर मात्र छह दिन में आरोपी को बिहार से गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने बच्ची का अपहरण कर पहले दुष्कर्म किया और फिर उसकी हत्या कर दी।


करीब 18 महीने तक चले मुकदमे के बाद, अदालत ने मंगलवार को आरोपी को दोषी ठहराया और फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि यह अपराध मानवता के सबसे अमानवीय रूपों में से एक है और समाज में इसका कोई स्थान नहीं है।


इस फैसले को शहर में दुष्कर्मियों के लिए एक कड़ा संदेश और न्याय व्यवस्था की ताकत के रूप में देखा जा रहा है। कानूनी विशेषज्ञों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और आम जनता ने इस निर्णय का स्वागत किया है, यह कहते हुए कि यह न केवल पीड़ित परिवार के लिए न्याय है, बल्कि समाज की हर मासूम बच्ची के लिए सुरक्षा का प्रतीक भी है। यह फैसला उन सभी खामोश चीखों का जवाब है जो वर्षों से न्याय की प्रतीक्षा कर रही थीं।


चंडीगढ़ की अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि मासूमों की सुरक्षा सर्वोपरि है और दरिंदों को केवल सजा नहीं, बल्कि सबसे कठोर सजा मिलेगी।