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चंडीगढ़: सोसायटी में बिना अनुमति 23 पेड़ काटने का मामला

चंडीगढ़ के पीरमुछल्ला क्षेत्र में एगजोटिका सोसायटी के प्रधान ने बिना अनुमति 23 पेड़ काट दिए, जिससे निवासियों में आक्रोश फैल गया। निवासियों ने वन विभाग और नगर परिषद को शिकायत की, जिसके बाद अधिकारियों ने मौके का दौरा किया। निवासियों का कहना है कि ये पेड़ न केवल सजावटी थे, बल्कि ऑक्सीजन भी प्रदान करते थे। अब वे नए पेड़ लगाने की मांग कर रहे हैं।
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चंडीगढ़: सोसायटी में बिना अनुमति 23 पेड़ काटने का मामला

सोसायटी निवासियों का विरोध


चंडीगढ़ समाचार: पीरमुछल्ला क्षेत्र में एगजोटिका नामक सोसायटी में मंगलवार को सोसायटी के प्रधान ने निवासियों की सहमति के बिना 23 पेड़ काट दिए। जब यह जानकारी अन्य निवासियों को मिली, तो उन्होंने इसका विरोध किया और वन विभाग तथा नगर परिषद जीरकपुर को इसकी शिकायत की।


इसके बाद नगर परिषद के बिल्डिंग इंस्पेक्टर और वन विभाग के फारेस्ट गार्ड ने मौके का दौरा किया और रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेजने का आश्वासन दिया। सोसायटी के निवासियों ने बताया कि उनकी सोसायटी में 25 से 30 सिल्वर ओक के पेड़ थे, जो 40 से 45 फीट लंबे थे।


यह पेड़ न केवल सजावटी थे, बल्कि ऑक्सीजन भी प्रदान करते थे। निवासियों ने कहा कि जब सोसायटी की स्थापना 15 वर्ष पहले हुई थी, तब उन्होंने अपने हाथों से इन पेड़ों को लगाया था और उनकी देखभाल की थी।


ये पेड़ न तो किसी के लिए खतरा थे और न ही सोसायटी की बिल्डिंग के लिए। फिर भी, प्रधान ने बिना किसी अनुमति के 23 पेड़ काट दिए, जिससे न केवल उनकी सोसायटी को बल्कि आस-पास की सोसायटी को भी नुकसान हुआ है।


लोगों ने कहा कि जब वे अपने घरों से बाहर निकलते थे, तो उन्हें हरियाली और ताजगी मिलती थी। अब, बिना अनुमति के इन बड़े पेड़ों को काट दिया गया है।


निवासियों ने मांग की कि इस मामले में उचित कार्रवाई की जाए और नए पेड़ लगाए जाएं। उन्होंने नगर परिषद के दफ्तर में शिकायत की थी, जिसके बाद अधिकारी मौके पर आए थे। वन विभाग के फारेस्ट गार्ड भी दो बार मौके पर आ चुके हैं।


एक अधिकारी ने कहा कि हमें सुबह शिकायत मिली थी और हम दो बार वहां जा चुके हैं। यह क्षेत्र नगर परिषद के अधीन है, इसलिए हम अपनी रिपोर्ट तैयार कर उन्हें भेज देंगे। पेड़ काटना गलत है और उनके पास इसकी कोई मंजूरी नहीं थी।


कुछ दिन पहले हवा के कारण दो पेड़ गिर गए थे, जो घरों पर गिरे थे। इसके बाद चुने हुए सदस्यों की सहमति से पेड़ काटे गए थे, लेकिन किसी से अनुमति नहीं ली गई थी।