चिराग पासवान का चुनावी यू-टर्न: बिहार से नहीं लड़ेंगे चुनाव, गठबंधन पर जोर

बिहार की राजनीति में नया मोड़
बिहार की राजनीतिक हलचल एक बार फिर तेज हो गई है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान, जो खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'हनुमान' मानते हैं, ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। पहले चुनाव लड़ने की बात कहने वाले चिराग ने अब स्पष्ट कर दिया है कि वे बिहार से चुनाव नहीं लड़ेंगे।
चुनाव से पीछे हटने का ऐलान
राजगीर में आयोजित एक रैली में चिराग पासवान ने अपने विचारों में अचानक बदलाव करते हुए कहा कि वे चुनावी मैदान में नहीं उतरेंगे। इसके बजाय, वे गठबंधन के तहत उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारेंगे। इस घोषणा ने बिहार की राजनीति में नया सस्पेंस पैदा कर दिया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि चिराग पासवान ने ऐसा कदम क्यों उठाया।
चिराग का स्पष्ट संदेश
राजगीर में 'बहुजन भीम संकल्प समागम' में चिराग ने कहा कि वे न तो टूटेंगे और न ही झुकेंगे। उन्होंने कहा, "मैं चुनाव लड़ूंगा, लेकिन बिहार से नहीं।" इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वे राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे।
चुनाव की रणनीति
चिराग ने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन के तहत भाग लेगी और सभी 243 सीटों के लिए रणनीति बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि वे 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' के लिए चुनाव लड़ेंगे और NDA के सहयोग से मजबूत उम्मीदवारों को मैदान में उतारा जाएगा।
नीतीश कुमार पर हमला
रैली के दौरान चिराग ने तेजस्वी यादव पर निशाना साधा और इशारों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी हमला किया। कहा जा रहा है कि चिराग के चुनाव लड़ने की चर्चाओं के बाद नीतीश कुमार की बेचैनी बढ़ गई थी। चिराग का यह यू-टर्न राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
पहले संकेत क्या थे?
कुछ समय पहले चिराग ने संकेत दिया था कि वे खुद बिहार से चुनाव लड़ सकते हैं। इसके बाद भाजपा की बैठकों में यह मुद्दा गरमाया और नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें भी आईं। एनडीए के अंदरखाने की खींचतान में चिराग का यह फैसला महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
चिराग की राजनीतिक सक्रियता
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चिराग पासवान हाल ही में बिहार में लगातार रैलियां और सभाएं कर रहे हैं। उनकी गतिविधियों को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा था कि वे चुनाव में बड़ी भूमिका निभाना चाहते हैं, लेकिन अब उनके यू-टर्न से राजनीतिक समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं।
क्या है रणनीति में बदलाव?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति अपनी वफादारी जताने वाले चिराग पासवान अक्सर खुद को उनका 'हनुमान' कहते हैं। ऐसे में बिहार चुनाव को लेकर उनका यह अचानक बदला फैसला कई सवाल खड़े करता है। क्या यह केवल एक रणनीति है या फिर एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर कोई समझौता?
आगे का रास्ता
अब जब चिराग पासवान ने खुद को चुनावी मैदान से पीछे खींच लिया है, तो सभी की नजरें इस बात पर हैं कि लोजपा (रामविलास) से किन चेहरों को NDA मैदान में उतारेगा और क्या यह कदम पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होगा या नहीं?