चिराग पासवान विधानसभा चुनाव में सामान्य सीट से लड़ने की तैयारी में

चिराग पासवान का चुनावी रणनीति
लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा और जनता दल पर दबाव बढ़ाने के लिए खुद चुनावी मैदान में उतरने की योजना बना रहे हैं। उनकी पार्टी के संसदीय बोर्ड ने इस पर सहमति दे दी है, और उनके सांसद व बहनोई अरुण भारती ने यह घोषणा की है कि चिराग सामान्य सीट से चुनाव लड़ेंगे, न कि किसी सुरक्षित सीट से।
सामान्य सीट से चुनाव लड़ने का प्रचार इस तरह किया जा रहा है जैसे यह कोई अनोखी बात हो, जबकि बिहार में दलित नेता अशोक चौधरी और सुशील शिंदे जैसे कई नेता पहले भी सामान्य सीटों से चुनाव लड़ चुके हैं। हाल ही में भाजपा ने सुपौल की सामान्य सीट पर दलित उम्मीदवार को उतारा था, जबकि उत्तर प्रदेश में सपा ने फैजाबाद और मेरठ की सामान्य सीटों पर भी दलित उम्मीदवार खड़े किए थे।
चिराग का उद्देश्य और सीटों की मांग
चिराग का मुख्य उद्देश्य दबाव बनाकर अधिक सीटें हासिल करना है। वे यह दावा कर रहे हैं कि बिहार में रहकर वे राज्य के विकास के लिए काम करना चाहते हैं, लेकिन लोकसभा सीट और केंद्रीय मंत्री पद छोड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। यदि उन्हें बिहार की राजनीति में सक्रिय रहना है, तो उन्हें लोकसभा से इस्तीफा देना चाहिए, लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे हैं।
उनकी पार्टी गठबंधन में अधिक सीटों की मांग कर रही है, और चिराग का कहना है कि वे सम्मान के साथ एक भी सीट कम नहीं लेंगे। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि कितनी सीटों पर उनका सम्मान बचा रहेगा। सूत्रों के अनुसार, भाजपा और जदयू के साथ 25 सीटों पर चर्चा हुई है, जबकि चिराग कम से कम 30 सीटों की मांग कर रहे हैं और 42 सीटों का दावा कर रहे हैं। लेकिन इतनी सीटें मिल पाना संभव नहीं लगता, और वे अकेले चुनाव लड़ने की स्थिति में नहीं हैं।