चीन की कड़ी चेतावनी: दलाई लामा के पुनर्जन्म पर विवाद

चीन की दलाई लामा के पुनर्जन्म पर कड़ी प्रतिक्रिया
विदेश मंत्री एस जयशंकर की 14 और 15 जुलाई को होने वाली चीन यात्रा से पहले, बीजिंग ने तिब्बत से संबंधित मुद्दों पर सख्त रुख अपनाया है, खासकर दलाई लामा के पुनर्जन्म के संदर्भ में। चीन ने इसे द्विपक्षीय संबंधों में एक 'कांटा' और भारत के लिए 'बोझ' करार दिया है। यह यात्रा 2020 में लद्दाख में हुई सैन्य झड़पों के बाद जयशंकर की पहली चीन यात्रा होगी।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, दलाई लामा ने अपने 90वें जन्मदिन से पहले 9 जुलाई को घोषणा की कि केवल उनके द्वारा स्थापित ट्रस्ट ही उनके पुनर्जन्म को मान्यता दे सकता है। इस पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की।
दलाई लामा के पुनर्जन्म पर विवाद
चीन का कड़ा रुख
चीनी दूतावास की प्रवक्ता यू जिंग ने सोशल मीडिया पर कहा कि 'रणनीतिक और शैक्षणिक समुदाय के सदस्यों ने दलाई लामा के पुनर्जन्म पर अनुचित टिप्पणियां की हैं।' उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे पेशेवरों को तिब्बत से संबंधित मुद्दों की संवेदनशीलता को समझना चाहिए।
यू जिंग ने आगे कहा, 'दलाई लामा का उत्तराधिकार पूरी तरह से चीन का आंतरिक मामला है, जिसमें किसी भी बाहरी ताकत का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।' उन्होंने चेतावनी दी कि 'ज़िजांग से संबंधित मुद्दा चीन-भारत संबंधों में एक कांटा है और यह भारत के लिए बोझ बन गया है।'
भारत का सतर्क रुख
भारत की प्रतिक्रिया
चीनी राजदूत शू फीहोंग ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि 'चीनी सरकार उन धार्मिक मामलों को नियंत्रित करती है जो राष्ट्रीय हितों से जुड़े हैं।' उन्होंने दलाई लामा पर 'चीन विरोधी अलगाववादी गतिविधियों' में शामिल होने का आरोप लगाया। भारत ने इस विवाद पर सतर्क रुख अपनाया है।
4 जुलाई को विदेश मंत्रालय ने कहा कि सरकार धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं से संबंधित मामलों पर कोई रुख नहीं अपनाती। यह बयान दलाई लामा की टिप्पणियों के बाद आया, जिसमें केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने धर्मशाला में उनके जन्मदिन समारोह में भाग लिया था।
जयशंकर की यात्रा का महत्व
संबंधों में सुधार की कोशिश
जयशंकर की यह यात्रा 2020 में लद्दाख के वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य तनाव के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पिछले साल अक्टूबर में दोनों पक्षों ने लद्दाख में गतिरोध समाप्त करने पर सहमति जताई थी।
जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीन जाएंगे, जहां उनकी मुलाकात अपने चीनी समकक्ष वांग यी से होगी। इस दौरान दोनों देश लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवाद को सुलझाने और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर चर्चा करेंगे।
तिब्बत और दलाई लामा का इतिहास
दलाई लामा का निर्वासन
दलाई लामा 1959 में चीनी सैन्य कार्रवाई के बाद तिब्बत से भागकर भारत में शरण ले चुके हैं। तब से वह धर्मशाला में निर्वासित जीवन जी रहे हैं। उनकी हालिया घोषणा ने तिब्बत के भविष्य और उनके उत्तराधिकार को लेकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। चीन का दावा है कि अगले दलाई लामा को उसकी मंजूरी जरूरी है, जबकि दलाई लामा ने इसे केवल अपने ट्रस्ट के अधिकार में बताया है।