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चुनाव आयोग ने उठाए गंभीर सवाल, क्या फर्जी और विदेशी मतदाताओं को वोट देने की अनुमति दी जाए?

चुनाव आयोग ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के दौरान कुछ गंभीर सवाल उठाए हैं। आयोग ने पूछा है कि क्या मृत मतदाताओं की जगह फर्जी मतदाताओं को वोटर लिस्ट में शामिल करना उचित है। इसके साथ ही, क्या विदेशी मतदाताओं को भी वोट डालने की अनुमति दी जानी चाहिए? संसद और बिहार विधानसभा में चल रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच आयोग ने संविधान और लोकतंत्र के महत्व पर जोर दिया है। जानें इस मुद्दे पर आयोग की क्या राय है।
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चुनाव आयोग ने उठाए गंभीर सवाल, क्या फर्जी और विदेशी मतदाताओं को वोट देने की अनुमति दी जाए?

चुनाव आयोग के सवालों का केंद्र


नई दिल्ली: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ संसद और बिहार विधानसभा में चल रहे हंगामे के बीच, चुनाव आयोग ने कुछ महत्वपूर्ण सवाल उठाए हैं। आयोग ने यह पूछा है कि क्या मृत मतदाताओं की जगह फर्जी मतदाताओं को वोटर लिस्ट में शामिल करना उचित होगा, खासकर जब कुछ लोगों के दबाव के कारण ऐसा किया जा रहा हो। इसके साथ ही, क्या विदेशी मतदाताओं को भी वोट डालने की अनुमति दी जानी चाहिए?


संसद और विधानसभा में विरोध प्रदर्शन

संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से चल रहा है, और पहले दिन से ही विपक्षी सांसद बिहार में वोटर वेरिफिकेशन के खिलाफ संसद के भीतर और बाहर विरोध कर रहे हैं। इसी प्रकार, बिहार विधानसभा में भी विपक्षी दलों द्वारा वोटर लिस्ट के संशोधन को लेकर हंगामा जारी है। इस बीच, चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर अपने सवालों को स्पष्ट किया है।


संविधान और लोकतंत्र का महत्व

चुनाव आयोग ने कहा, 'भारत का संविधान देश के लोकतंत्र की नींव है। क्या विरोध के डर से आयोग को कुछ लोगों के दबाव में आकर ऐसे लोगों के लिए रास्ता खोल देना चाहिए, जो मृत मतदाताओं के नाम पर फर्जी वोट डालते हैं? क्या स्थायी रूप से पलायन कर चुके मतदाताओं या विदेशी मतदाताओं को संविधान के खिलाफ जाकर वोट डालने की अनुमति दी जानी चाहिए?'