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चुनाव आयोग ने तमिलनाडु की 42 राजनीतिक पार्टियों का पंजीकरण रद्द किया

चुनाव आयोग ने तमिलनाडु की 42 राजनीतिक पार्टियों का पंजीकरण रद्द कर दिया है, जो पिछले छह वर्षों में चुनावों में भाग नहीं ले पाईं। यह कदम आयोग की डीरेजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का हिस्सा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इसका बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि ये पार्टियाँ मुख्य रूप से तमिलनाडु में सक्रिय हैं। जानें इस निर्णय के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभाव।
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चुनाव आयोग ने तमिलनाडु की 42 राजनीतिक पार्टियों का पंजीकरण रद्द किया

चुनाव आयोग की महत्वपूर्ण कार्रवाई

चुनाव आयोग ने हाल ही में तमिलनाडु की 42 राजनीतिक पार्टियों का पंजीकरण रद्द करने का निर्णय लिया है। यह जानकारी आयोग द्वारा दी गई है, जिसमें बताया गया है कि ये पार्टियां रजिस्टर्ड अनरेकग्नाइज्ड पॉलिटिकल पार्टियों (RUPPs) की श्रेणी में आती हैं।


डीरेजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का हिस्सा

तमिलनाडु के मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह कदम आयोग की डीरेजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के दूसरे चरण का हिस्सा है, जिसमें देशभर में कुल 474 पार्टियों की जांच की गई है। इस संदर्भ में यह जानना महत्वपूर्ण है कि क्या यह कदम बिहार चुनाव पर प्रभाव डालेगा।


पंजीकरण रद्द करने के कारण

आयोग के अनुसार, जिन पार्टियों का पंजीकरण रद्द किया गया है, उन्होंने पिछले छह वर्षों में किसी भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव में भाग नहीं लिया। नियमों के अनुसार, यदि कोई राजनीतिक पार्टी ऐसा करती है, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है।


राजनीतिक पार्टियों के लिए नियम

चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए पांच वर्षों के भीतर कम से कम एक चुनाव लड़ना अनिवार्य है। जिन प्रमुख पार्टियों का पंजीकरण रद्द किया गया है, उनमें मणिथनेया मक्कल काची (MMK) और तमिलनाडु पीपुल्स प्रोग्रेसिव शामिल हैं। आयोग का कहना है कि यह कदम चुनावी प्रक्रिया को मजबूत बनाने के लिए उठाया गया है।


बिहार विधानसभा चुनाव पर प्रभाव

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि तमिलनाडु की इन 42 पार्टियों के पंजीकरण रद्द होने का बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। ये पार्टियां मुख्य रूप से तमिलनाडु में सक्रिय हैं और बिहार में इनकी कोई उपस्थिति नहीं है। बिहार में विधानसभा चुनाव नवंबर में होने वाले हैं।