छत्तीसगढ़ में ननों की गिरफ्तारी पर नया मोड़: महिला ने बदला बयान

छत्तीसगढ़ ननों का मामला
छत्तीसगढ़ ननों का मामला: छत्तीसगढ़ में दो ननों की गिरफ्तारी के संदर्भ में एक नया मोड़ आया है। धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोपों में गिरफ्तार नन प्रीति मैरी और वंदना फ्रांसिस के मामले में एक महिला ने पहले दिए गए अपने बयान को पलट दिया है। नारायणपुर की इस महिला का कहना है कि पुलिस ने उसे जबरदस्ती बयान देने के लिए मजबूर किया।
महिला का नया बयान
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, जीआरपी ने बजरंग दल के एक कार्यकर्ता की शिकायत पर दुर्ग रेलवे स्टेशन से ननों और सुखमन मंडावी को गिरफ्तार किया था। आरोप था कि तीनों ने नारायणपुर की महिलाओं का धर्मांतरण कर उन्हें मानव तस्करी के जरिए बाहर भेजने का प्रयास किया।
महिला ने आरोप लगाया
हालांकि, पीड़िता ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उसे ननों के खिलाफ बयान देने के लिए धमकाया गया। महिला ने आरोप लगाया कि हिंदू संगठन से जुड़ी ज्योति शर्मा ने उस पर हमला किया और झूठा बयान देने के लिए मजबूर किया। उसने कहा कि वह अपनी मर्जी से गई थी और उसके माता-पिता ने अनुमति दी थी।
सेवा का कार्य
महिला ने बताया कि उसे ननों के साथ खाना बनाने और मरीजों की सेवा का काम मिल रहा था, जिसमें उसे ₹10,000, भोजन, वस्त्र और निवास की सुविधा मिलनी थी। वह हर दिन ₹250 की दिहाड़ी मजदूरी करती है और 10वीं तक पढ़ी है।
एफआईआर की प्रक्रिया
महिला ने यह भी कहा कि जीआरपी ने उसका बयान दर्ज नहीं किया, जबकि एफआईआर केवल बजरंग दल के कार्यकर्ताओं की जानकारी पर दर्ज की गई। महिला के अनुसार, गिरफ्तार मंडावी उनके लिए भाई के समान है और चर्च से जुड़ा हुआ है।
आरोपों का खंडन
बजरंग दल के सदस्य ऋषि मिश्रा ने बताया कि एक रिक्शा चालक ने बातचीत सुनी थी जिससे उन्हें संदेह हुआ। इस पर उन्होंने शिकायत दर्ज कराई। वहीं, ज्योति शर्मा ने मारपीट के आरोपों को खारिज किया और कहा कि वह पुलिस स्टेशन में थी, जहां पुलिस की मौजूदगी में किसी को मारना संभव नहीं। इस प्रकरण ने ननों की गिरफ्तारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। महिला की नई गवाही ने जांच की निष्पक्षता और पुलिस की भूमिका को कटघरे में खड़ा कर दिया है।