जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा: क्या है इसके पीछे की सच्चाई?

जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा
सोमवार की रात, जगदीप धनखड़ ने भारत के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दे दिया। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से रात 9 बजे मुलाकात की और अपना त्यागपत्र सौंपा। इसके बाद, उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपने इस्तीफे की सूचना साझा की।
स्वास्थ्य कारणों का हवाला
अपने इस्तीफे में, धनखड़ ने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का उल्लेख करते हुए कहा कि वह स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देने और चिकित्सकीय सलाह का पालन करने के लिए तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहे हैं। उनका कार्यकाल अगस्त 2022 में शुरू हुआ था और यह अगस्त 2027 तक चलने वाला था।
संसद सत्र के आरंभ में इस्तीफा
धनखड़ का इस्तीफा उस समय आया जब संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ था। यह कदम सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के लिए चौंकाने वाला था। खास बात यह रही कि एनडीए की ओर से ऐसे पदों से विदाई लेने वाले नेताओं की प्रशंसा भी नहीं की गई।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
जहां एनडीए के नेता चुप रहे, वहीं विपक्षी दलों ने धनखड़ की भूमिका की सराहना की। कांग्रेस ने उनके इस्तीफे पर संदेह जताते हुए कहा कि स्वास्थ्य का कारण केवल एक बाहरी परत हो सकता है, असली वजह कहीं और है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया इस्तीफे के 15 घंटे बाद आई।
महाभियोग प्रस्ताव की चर्चा
सूत्रों के अनुसार, इस्तीफे के पीछे एक बड़ा संवैधानिक घटनाक्रम था। बताया जा रहा है कि धनखड़ ने पिछले हफ्ते कुछ विपक्षी नेताओं से अपील की थी कि वे राज्यसभा में पूर्व न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाएं।
विपक्ष का नोटिस, एनडीए की अनभिज्ञता
एक वरिष्ठ कांग्रेस सांसद ने महाभियोग प्रस्ताव तैयार किया, जिस पर सोमवार को 63 विपक्षी सांसदों ने हस्ताक्षर किए। एनडीए के किसी भी सांसद ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर नहीं किए, क्योंकि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी।
धनखड़ की घोषणा
राज्यसभा की कार्य सलाहकार समिति की बैठक के बाद, धनखड़ ने सदन में घोषणा की कि उन्हें राज्यसभा के 50 से अधिक सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित एक नोटिस प्राप्त हुआ है, जिसमें न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने के लिए वैधानिक समिति गठित करने की मांग की गई है।