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जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर: किसान से उपराष्ट्रपति तक

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दिया है, जिससे उनके राजनीतिक करियर पर चर्चा शुरू हो गई है। जानें कैसे एक साधारण किसान परिवार से जन्मे धनखड़ ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की और विभिन्न पार्टियों में रहकर उपराष्ट्रपति के पद तक पहुंचे। उनकी यात्रा में चौधरी देवीलाल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इस लेख में हम उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालेंगे।
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जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर: किसान से उपराष्ट्रपति तक

उपराष्ट्रपति का इस्तीफा

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है और अपना त्याग पत्र राष्ट्रपति को भेजा है। इस घटनाक्रम के बाद उनके राजनीतिक करियर पर चर्चा तेज हो गई है। एक किसान परिवार में जन्मे जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है। आइए जानते हैं कि कैसे वे राजस्थान के झुंझुनू जिले से उपराष्ट्रपति के पद तक पहुंचे।


झुंझुनू में जन्म

जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले में एक साधारण किसान परिवार में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल से हुई, इसके बाद उन्होंने चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में स्कॉलरशिप पर पढ़ाई की। बाद में, उनका चयन नेशनल डिफेंस अकादमी में हुआ, लेकिन वे वहां नहीं गए। उन्होंने जयपुर के महाराजा कॉलेज से BSC (ऑनर्स) की डिग्री प्राप्त की और फिर राजस्थान यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। इसके बाद, उन्होंने जयपुर में वकालत शुरू की और राजस्थान हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की।


राजनीतिक सफर की शुरुआत

जगदीप धनखड़ ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत जनता दल पार्टी से की। वे कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में भी रहे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वे 1989 से 1991 तक जनता दल के सांसद रहे। 1991 में कांग्रेस में शामिल होकर अजमेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। इसके बाद, उन्होंने किशनगढ़ सीट से चुनाव लड़ा और विधायक बने। 1998 में झुंझुनू से लोकसभा चुनाव लड़ा, जहां वे तीसरे स्थान पर रहे। 2003 में, उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया और 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए प्रचार किया।


चौधरी देवीलाल से प्रेरणा

जगदीप धनखड़ ने कभी राजनेता बनने की इच्छा नहीं रखी थी, लेकिन चौधरी देवीलाल से प्रेरित होकर उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 1989 में देवीलाल के 75वें जन्मदिन पर, वे 75 गाड़ियों के काफिले के साथ दिल्ली पहुंचे। उस वर्ष हुए लोकसभा चुनाव में, वी.पी. सिंह के जनता दल ने उन्हें झुंझुनू से टिकट दिया और वे सांसद बने। वीपी सिंह की सरकार में देवीलाल उपप्रधानमंत्री बने और धनखड़ को केंद्र में मंत्री पद मिला।