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जयपुर में न्यायिक सेवा परीक्षा में सिख छात्रा को धार्मिक प्रतीकों के कारण रोका गया

जयपुर के पूर्णिमा विश्वविद्यालय में न्यायिक सेवा परीक्षा के दौरान एक सिख छात्रा, गुरप्रीत कौर, को उसके धार्मिक प्रतीकों के कारण परीक्षा केंद्र में प्रवेश से रोका गया। उसने ककार हटाने से इनकार किया और इस विवाद ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इस मामले पर कड़ी आपत्ति जताई है। जानें इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और इसके संभावित परिणाम।
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पूर्णिमा विश्वविद्यालय में विवाद

जयपुर के पूर्णिमा विश्वविद्यालय में आयोजित न्यायिक सेवा परीक्षा के दौरान एक विवाद उत्पन्न हुआ। जानकारी के अनुसार, पंजाब की सिख छात्रा गुरप्रीत कौर को उसके धार्मिक प्रतीकों, विशेषकर ककार, के कारण परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं दिया गया। गुरप्रीत, जो तरनतारन जिले के खडूर साहिब की निवासी है, ने परीक्षा देने के लिए विश्वविद्यालय पहुंची थी।


उसे ककार हटाने का आदेश दिया गया, लेकिन उसने ऐसा करने से इनकार कर दिया, जिसके चलते वह परीक्षा केंद्र के बाहर खड़ी रही। गुरप्रीत ने बताया कि उसने परीक्षा की सभी फीस चुका दी थी और उसके पास कोई ऐसा सामान नहीं था जिससे उसे रोका जा सके। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के अनुसार, वह कृपाण पहनकर परीक्षा दे सकती है, लेकिन उसे बताया गया कि उच्च न्यायालय के आदेश हैं कि वह कृपाण या कड़ा पहनकर परीक्षा नहीं दे सकती।


उसे यह भी बताया गया कि वह परीक्षा में नुकीली वस्तुएं या जींस पहनकर नहीं आ सकती। हालांकि, गुरसिख समुदाय के लिए ऐसा कोई नियम नहीं है जो कहता हो कि वे कृपाण पहनकर परीक्षा नहीं दे सकते। गुरप्रीत ने कहा कि यदि ऐसा कोई नियम होता, तो वह परीक्षा देने नहीं आती।


इस घटना के बाद, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने कड़ी आपत्ति जताई है। कमेटी के सदस्य गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने कहा कि गुरप्रीत कौर को गाली देकर परीक्षा केंद्र में प्रवेश नहीं दिया गया, जो कि अनुचित है। उन्होंने इस मामले की आगे की कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।