जर्मनी के विदेश मंत्री का भारत दौरा: अमेरिका को मिला झटका

अमेरिकी टैरिफ से वैश्विक राजनीति में बदलाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ ने वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है, जिससे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी बदलाव आ रहा है। पुराने मित्रों के बीच दूरियां बढ़ रही हैं, जबकि कुछ दुश्मन नए दोस्त बन रहे हैं। भारत के प्रति ट्रंप की नाराजगी स्पष्ट है, क्योंकि उन्होंने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है और अन्य देशों से भी भारत पर प्रतिबंध लगाने की अपील की है।
इस बीच, जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडफुल भारत की यात्रा पर आने वाले हैं। उनकी यात्रा का पहला पड़ाव बेंगलुरु होगा, जहां वे ISRO का दौरा करेंगे, इसके बाद वे नई दिल्ली में विभिन्न नेताओं से मुलाकात करेंगे। अपनी यात्रा से पहले, उन्होंने भारत को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार बताया।
भारत के साथ जर्मनी के संबंध
सोशल मीडिया पर उन्होंने कहा कि भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख साझेदार है। उनके अनुसार, दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध गहरे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सुरक्षा सहयोग, नई तकनीक और कुशल श्रमिकों की भर्ती जैसे क्षेत्रों में रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। भारत, जो दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला और सबसे बड़ा लोकतंत्र है, की आवाज़ हिंद-प्रशांत क्षेत्र से आगे भी सुनी जाती है।
उन्होंने आगे कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लोकतंत्र के रूप में, हम स्वाभाविक साझेदार हैं। महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करते हुए, हमें मिलकर नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखना चाहिए।
अमेरिका की अपील पर जर्मनी का रुख
यह ध्यान देने योग्य है कि अमेरिकी सरकार ने यूरोपीय देशों से आग्रह किया था कि वे भारत पर वही प्रतिबंध लगाएं जो अमेरिका ने लगाए हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि यूरोप को भारत से आयात होने वाली सभी वस्तुओं को तुरंत रोक देना चाहिए और टैरिफ लगाना चाहिए। अमेरिका चाहता है कि यूरोपीय देश उसके साथ खड़े हों, लेकिन जर्मनी के विदेश मंत्री का भारत दौरा और उनका बयान अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।