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जस्टिस यशवंत वर्मा के महाभियोग प्रस्ताव में अड़चनें

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने अड़चनें डालने का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने प्रक्रिया के मुद्दे को उठाया है, जिससे महाभियोग की प्रक्रिया में रुकावट आ रही है। जस्टिस वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है, जबकि कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि यदि प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, तो वे महाभियोग का समर्थन नहीं करेंगी। जानें इस राजनीतिक घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी।
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जस्टिस यशवंत वर्मा के महाभियोग प्रस्ताव में अड़चनें

महाभियोग की प्रक्रिया में रुकावट

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया अब मुश्किल में पड़ती नजर आ रही है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने इस प्रस्ताव को रोकने का निर्णय लिया है। इस प्रक्रिया में बाधा डालने का काम सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने किया, जो समाजवादी पार्टी के समर्थन से निर्दलीय राज्यसभा में पहुंचे हैं। सिब्बल ने प्रक्रिया के मुद्दे को उठाया है। हालांकि, वे कांग्रेस से इस्तीफा दे चुके हैं और किसी पार्टी से जुड़े नहीं हैं, लेकिन उनकी राजनीतिक गतिविधियों में सपा के साथ साझा हित स्पष्ट हैं। जस्टिस वर्मा इस स्थिति को भांपते हुए इस्तीफा देने से इनकार कर चुके हैं।


जस्टिस वर्मा का बचाव

कुछ समय पहले जब यह अनुमान लगाया जा रहा था कि सभी राजनीतिक दल महाभियोग पर सहमत होंगे, तब जस्टिस वर्मा के करीबी सूत्रों ने बताया था कि वे इस्तीफा देने पर विचार कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि उनके दिल्ली स्थित आवास से पांच-पांच सौ रुपए के नोटों के बंडल मिलने के बाद तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने उन्हें इस्तीफे का विकल्प दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया। यदि कांग्रेस, सपा और अन्य भाजपा विरोधी दल महाभियोग की प्रक्रिया में रुकावट डालते हैं, तो जस्टिस वर्मा इस्तीफा नहीं देंगे।


सिब्बल का तर्क

जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपने बचाव में कहा है कि उनके घर से बरामद नोटों के बंडल की बात संदिग्ध है। उनका कहना है कि जब वे लौटे, तो उनके घर पर कोई नोट नहीं मिले। केवल नोटों का वीडियो है, लेकिन वास्तविक नोट नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस ने इस मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई थी, जिसकी रिपोर्ट में नोटों के बंडल मिलने की पुष्टि की गई थी।


कांग्रेस का रुख

कपिल सिब्बल ने प्रक्रिया का सवाल उठाते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की इन हाउस कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर संसद में महाभियोग नहीं चलाया जा सकता। इसके बाद कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने भी कहा कि जजेज इन्क्वायरी एक्ट के तहत जस्टिस वर्मा को हटाने की प्रक्रिया होनी चाहिए। कांग्रेस ने स्पष्ट किया है कि यदि प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया, तो वह महाभियोग का समर्थन नहीं करेगी। यदि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल समर्थन नहीं करते हैं, तो महाभियोग प्रस्ताव पास नहीं हो सकेगा।