जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई: रिटायरमेंट के बाद भी सक्रियता की मिसाल
 
                           
                        जस्टिस देसाई की अद्वितीय यात्रा
11 वर्ष पहले, 2014 में, जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई ने सुप्रीम कोर्ट से रिटायरमेंट लिया था। उनके साथ इस समय के दौरान कई अन्य जज भी रिटायर हुए, जिनमें चीफ जस्टिस भी शामिल थे। हालांकि, उनके बाद की गतिविधियों के बारे में जानकारी कम ही मिलती है। सरकारी कार्यों में रिटायर जजों की भूमिका लगातार घटती जा रही है। अब तो कई सुप्रीम कोर्ट के जज रिटायर होने से पहले ही यह स्पष्ट कर देते हैं कि वे कोई सरकारी पद नहीं लेंगे। लेकिन जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई इस प्रवृत्ति से अलग हैं। वर्तमान में, वे प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) की अध्यक्षता कर रही हैं और पिछले 11 वर्षों में उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार के छह आयोगों की अध्यक्षता की है। उनके नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं।
आठवें वेतन आयोग की अध्यक्षता
हाल ही में, जस्टिस देसाई को आठवें वेतन आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। यह तीन सदस्यीय आयोग अगले 18 महीनों में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगा, जिनके आधार पर केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मचारियों और 60 लाख पेंशनधारकों के वेतन और पेंशन का निर्धारण किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि उनके नेतृत्व में उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का कानून भी बनाया गया है, जिससे यह कानून लागू करने वाला पहला राज्य बन गया। इसके बाद, गुजरात ने भी यूसीसी के लिए आयोग का गठन किया, जिसमें जस्टिस देसाई को अध्यक्ष बनाया गया।
अन्य महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ
रिटायरमेंट के तुरंत बाद, जस्टिस देसाई को आयकर विभाग की एडवांस रूलिंग ऑथोरिटी का अध्यक्ष बनाया गया, जहां वे 2019 तक रहीं। इसी दौरान, 2018 में, उन्हें लोकपाल की नियुक्ति के लिए आठ सदस्यों के सर्च पैनल का अध्यक्ष भी बनाया गया। 2023 में इस कमेटी का पुनर्गठन हुआ, और जस्टिस देसाई ने फिर से इसकी अध्यक्षता की। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त होने के बाद, 2020 में जस्टिस देसाई की अध्यक्षता में जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग का गठन किया गया, जिसके आधार पर वहां परिसीमन किया गया।
