जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा का इस्तीफा: पार्टी में एकता बनाए रखने की कोशिश

प्रधानमंत्री का इस्तीफा
नई दिल्ली। जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने अपनी पार्टी (LDF) को विभाजन से बचाने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। जुलाई में हुए ऊपरी सदन के चुनाव में LDF को हार का सामना करना पड़ा। पार्टी के भीतर एक गुट ने इशिबा को हटाने की मांग की थी, जिससे पार्टी दो हिस्सों में बंटने का खतरा था। इस्तीफे के बाद पार्टी में एकता बनी रही, जो जापान की राजनीति में एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां नेताओं ने अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से अधिक पार्टी की भलाई को प्राथमिकता दी।
चुनाव में हार और इस्तीफे का कारण
इशिबा ने रविवार को इस्तीफा देकर सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के भीतर विभाजन से बचने का प्रयास किया। जापानी मीडिया ने इस खबर की पुष्टि की है। इशिबा की गठबंधन सरकार ने जुलाई में ऊपरी सदन के चुनाव में बहुमत खो दिया था। उन्होंने हाल ही में इस हार के लिए माफी मांगी थी और इस्तीफे पर विचार करने का संकेत दिया था। चुनावी हार के बाद LDP में 'इशिबा को हटाओ' आंदोलन तेज हो गया था, जिससे उनकी स्थिति कमजोर हुई। अब उनके इस्तीफे के बाद LDP में नई नेतृत्व की दौड़ शुरू होगी।
LDP की चुनावी हार
इशिबा की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) और उसके सहयोगी दलों ने जुलाई में ऊपरी सदन के चुनावों में अपना बहुमत खो दिया। उस समय इशिबा ने कहा था कि वह इस्तीफा नहीं देंगे। जापानी संसद के उच्च सदन में कुल 248 सीटें हैं, और इशिबा के गठबंधन के पास पहले से 75 सीटें थीं। बहुमत बनाए रखने के लिए उन्हें कम से कम 50 नई सीटों की आवश्यकता थी, लेकिन उन्हें केवल 47 सीटें मिलीं, जिनमें से LDP को 39 सीटें प्राप्त हुईं।
इशिबा की राजनीतिक स्थिति
यह हार इशिबा के लिए दूसरी बड़ी राजनीतिक असफलता थी। इससे पहले अक्टूबर में निचले सदन का चुनाव हारने के बाद अब यह गठबंधन दोनों सदनों में अल्पमत में चला गया था। LDP की स्थापना 1955 में हुई थी, और यह पहला मौका है जब उसने दोनों सदनों में बहुमत खोया है।
संसद में बहुमत के बिना प्रधानमंत्री बने इशिबा
जापान में अक्टूबर 2024 में हुए चुनाव में LDP-कोमेतो गठबंधन को 465 में से केवल 215 सीटें मिली थीं। बहुमत के लिए 233 सीटें चाहिए थीं। LDP सबसे बड़ी पार्टी रही, लेकिन कोई अन्य गठबंधन सरकार बनाने की स्थिति में नहीं था। मुख्य विपक्षी दल CDPJ को 148 सीटें मिलीं। विपक्ष ने नो-कॉन्फिडेंस मोशन लाने की कोशिश की, लेकिन इशिबा ने चेतावनी दी कि ऐसा हुआ तो वे संसद भंग कर देंगे, जिससे विपक्ष पीछे हट गया।
जनता की नाराजगी और टैरिफ मुद्दे
यह चुनाव उस समय हुआ जब जापान में महंगाई बढ़ी और अमेरिका के टैरिफ को लेकर लोगों में चिंता थी। इन मुद्दों के कारण सत्तारूढ़ गठबंधन के खिलाफ नाराजगी देखी गई। चुनाव में हार के बावजूद, इशिबा ने कहा कि वह देश के लिए काम करते रहेंगे और अमेरिका के टैरिफ जैसे मुद्दों से निपटने की कोशिश करेंगे। हालांकि, पिछले तीन प्रधानमंत्रियों ने जब उच्च सदन में बहुमत खोया था, तो उन्होंने दो महीनों के भीतर इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में इशिबा पर भी दबाव बढ़ा।
इशिबा का अमेरिका के साथ व्यापार समझौता
इशिबा ने हाल ही में अमेरिका के साथ एक व्यापार समझौते को अंतिम रूप दिया, जिसमें जापानी ऑटोमोबाइल पर लगने वाले टैरिफ को 25% से घटाकर 15% कर दिया गया। इस समझौते को निवेशकों ने जापान की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के लिए फायदेमंद माना। हालांकि, इस समझौते के बावजूद, इशिबा की राजनीतिक स्थिति को मजबूत नहीं किया जा सका।