Newzfatafatlogo

जीएसटी के आठ वर्षों में वृद्धि और सरलीकरण की आवश्यकता

जीएसटी के लागू होने के आठ वर्षों में भारत की टैक्स प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। पिछले पांच वर्षों में वसूली में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है, लेकिन व्यापारियों और उद्योगपतियों द्वारा स्लैबों के सरलीकरण की मांग भी उठाई जा रही है। इस लेख में जीएसटी के प्रभाव, चुनौतियों और सुधार की आवश्यकता पर चर्चा की गई है। जानें कैसे जीएसटी ने भारत की आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया है और भविष्य में क्या बदलाव आवश्यक हैं।
 | 

जीएसटी का प्रभाव और विकास

भारत में जीएसटी के लागू होने से विकास की गति में तेजी आई है। स्वर्गीय अरुण जेटली के प्रयासों से देश की टैक्स प्रणाली में महत्वपूर्ण बदलाव आया।


जीएसटी के लागू होने के आठ वर्षों में, पिछले पांच वर्षों में वसूली में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 2024-25 में ग्रॉस जी.एस.टी. संग्रह 22.08 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो कि वित्त वर्ष 2020-21 में 11.37 लाख करोड़ रुपए था। यह पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 9.4 प्रतिशत अधिक है। इस दौरान औसत मासिक संग्रह 1.84 लाख करोड़ रुपए रहा, जो 2023-24 में 1.68 लाख करोड़ और 2021-22 में 1.51 लाख करोड़ रुपए था। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में यह औसत 2 लाख करोड़ रुपए के करीब पहुंच सकता है। जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड करदाताओं की संख्या 2017 में 65 लाख से बढ़कर अब 1.51 करोड़ से अधिक हो गई है।


जीएसटी स्लैब की जटिलताएँ

जीएसटी के आठ वर्षों में व्यापारियों और उद्योगपतियों द्वारा स्लैबों के सरलीकरण की मांग लगातार उठाई जा रही है। उदाहरण के लिए, रोटी और पराठे पर अलग-अलग जीएसटी दरें हैं, जबकि बन और बटर पर कोई जीएसटी नहीं है। लेकिन जब बटर के साथ बन परोसा जाता है, तो उस पर जीएसटी लागू होता है। इसी तरह, 25 किलोग्राम तक के पैक्ड अनाज पर 5 प्रतिशत टैक्स है, जबकि 26 किलोग्राम या उससे अधिक पर कोई टैक्स नहीं है।


इस असमानता के कारण व्यापारी और ग्राहक दोनों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यदि किसी व्यापारी का एक कार्यालय दिल्ली में है और दूसरा नोएडा में, तो उनके जीएसटी आडिट अलग-अलग अधिकारियों द्वारा किए जाएंगे, जिससे व्यावहारिक समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। उद्योग जगत की मांग है कि सरकार जीएसटी रिटर्न को सरल बनाए और छोटे कारोबारियों को तकनीकी सहायता प्रदान करे।


सरकार की नीति में बदलाव की आवश्यकता

जब जीएसटी प्रणाली लागू की गई थी, तब तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने व्यापारियों को आश्वासन दिया था कि जल्द ही दो स्लैब में बदलाव किया जाएगा। वर्तमान में 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत के स्लैब हैं, जबकि सोने के लिए 3 प्रतिशत का स्लैब है। विकसित देशों में केवल दो स्लैब होते हैं। यदि भारत विकसित देशों की सूची में शामिल होना चाहता है, तो सरकार को अपनी नीतियों में भी इसी तरह की सोच अपनानी चाहिए।


जीएसटी के आठ वर्षों में वृद्धि और सरलीकरण की आवश्यकता


-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक।