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जेएनयू में आंतरिक समिति चुनाव के परिणाम घोषित, नए छात्र प्रतिनिधियों का चयन

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने अपने आंतरिक समिति चुनाव के परिणामों की घोषणा की है। इस चुनाव में स्नातक, परास्नातक और पीएचडी वर्गों से नए छात्र प्रतिनिधियों का चयन किया गया है। डीन ऑफ स्टूडेंट्स मनुराधा चौधरी ने बताया कि गर्विता गांधी, श्रुति वर्मा और परन अमितावा को चुना गया है। मतदान प्रक्रिया में लगभग 67 प्रतिशत छात्रों ने भाग लिया। जानें इस चुनाव की पूरी प्रक्रिया और विवादों के बारे में।
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जेएनयू में आंतरिक समिति चुनाव के परिणाम घोषित, नए छात्र प्रतिनिधियों का चयन

जेएनयू के आंतरिक समिति चुनाव का परिणाम

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के डीन ऑफ स्टूडेंट्स कार्यालय ने बुधवार को आंतरिक समिति चुनाव के नतीजों की आधिकारिक घोषणा की। इस चुनाव में स्नातक, परास्नातक और पीएचडी वर्गों से तीन प्रतिनिधियों का चयन किया गया है।


डीन ऑफ स्टूडेंट्स, मनुराधा चौधरी ने बताया कि स्नातक श्रेणी से गर्विता गांधी, परास्नातक श्रेणी से श्रुति वर्मा और पीएचडी श्रेणी से परन अमितावा को छात्र प्रतिनिधि के रूप में चुना गया है। ये सभी छात्र विश्वविद्यालय की आंतरिक समिति में अपने-अपने वर्गों का प्रतिनिधित्व करेंगे।


जेएनयू में आंतरिक समिति चुनाव के लिए मतदान मंगलवार को हुआ था। 25 अक्टूबर को चुनाव का शेड्यूल जारी किया गया था, और नामांकन पत्रों की जांच 28 अक्टूबर को की गई। मतदान 4 नवंबर को संपन्न हुआ।


मंगलवार को नए केंद्रीय पैनल और स्कूल पार्षदों के लिए भी मतदान हुआ। विश्वविद्यालय में लगभग 67 प्रतिशत छात्रों ने अपने मत का प्रयोग किया। मतदान सुबह 9 बजे शुरू हुआ और पूरे दिन चला। केंद्रीय पैनल के चार पदों (अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव) के लिए कुल 20 उम्मीदवार चुनाव में शामिल हुए।


समिति के अनुसार, इस वर्ष 9,043 छात्र मतदान के लिए पात्र थे। मतदान के बाद मंगलवार रात को मतगणना शुरू हुई, और बुधवार सुबह नतीजे घोषित किए गए। हालांकि, अंतिम परिणाम 6 नवंबर को आएंगे।


जेएनयू की आंतरिक समिति में कुल 9 सदस्य होते हैं, जिसे आंतरिक शिकायत समिति भी कहा जाता है। इसमें तीन छात्रों का चयन चुनाव के माध्यम से किया जाता है, जिनमें से दो महिलाएं और एक पुरुष होते हैं। अन्य छह सदस्यों का चयन प्रशासन द्वारा किया जाता है।


हालांकि, इस बार छात्र प्रतिनिधियों के चुनाव में नियमों को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ, और यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट तक पहुंचा। हाईकोर्ट ने जेएनयू के उस निर्णय को बरकरार रखा, जिसमें यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने वाली आंतरिक समिति के छात्र प्रतिनिधियों के चुनाव में छात्रों को मतदान करने की अनुमति दी गई थी।