जैश-ए-मोहम्मद ने शुरू की पहली महिला शाखा, जमात-उल-मोमिनात
पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने अपनी पहली महिला शाखा, जमात-उल-मोमिनात, की स्थापना की है। इस नई इकाई का नेतृत्व मसूद अज़हर की बहन सादिया अज़हर करेंगी। भर्ती प्रक्रिया आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं पर केंद्रित है। यह कदम संगठन की नीति में बदलाव को दर्शाता है, जो पहले महिलाओं को जिहाद में शामिल होने से रोकता था। जानें इस नई शाखा के गठन के पीछे की कहानी और इसके संभावित प्रभाव।
Oct 9, 2025, 16:15 IST
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जैश-ए-मोहम्मद की नई महिला शाखा का उद्घाटन
पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) ने अपनी पहली महिला शाखा, जमात-उल-मोमिनात, की स्थापना की घोषणा की है। यह जानकारी जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मौलाना मसूद अज़हर द्वारा जारी एक पत्र में दी गई है, जिसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी के रूप में नामित किया गया है। इस नई इकाई के लिए भर्ती प्रक्रिया 8 अक्टूबर को पाकिस्तान के बहावलपुर में स्थित मरकज़ उस्मान-ओ-अली में शुरू हुई। जैश-ए-मोहम्मद के प्रचार माध्यम अल-कलाम मीडिया द्वारा साझा किए गए पत्र में उल्लेख किया गया है कि जमात-उल-मोमिनात संगठन की महिला ब्रिगेड के रूप में कार्य करेगी।
महिला शाखा का नेतृत्व और भर्ती प्रक्रिया
सूत्रों के अनुसार, इस विंग का नेतृत्व मसूद अज़हर की बहन सादिया अज़हर करेंगी। उनके पति यूसुफ़ अज़हर को 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना द्वारा मारे गए थे, जब जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय को निशाना बनाया गया था। भर्ती अभियान मुख्य रूप से जैश-ए-मोहम्मद के कमांडरों की पत्नियों और बहावलपुर, कराची, मुज़फ़्फ़राबाद, कोटली, हरिपुर और मनसेहरा में समूह के केंद्रों में पढ़ाई कर रही आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं पर केंद्रित है। उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बहावलपुर स्थित जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय पर हमला किया था। इस हमले के बाद, जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर इलियास कश्मीरी ने एक वीडियो में दावा किया था कि इस हमले में मसूद अज़हर के परिवार के कई सदस्य मारे गए थे।
महिलाओं की भूमिका में बदलाव
देवबंदी विचारधारा से प्रेरित जैश-ए-मोहम्मद ने पहले महिलाओं को सशस्त्र जिहाद में भाग लेने से रोका था। हालाँकि, पहलगाम आतंकवादी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद, ऐसा प्रतीत होता है कि संगठन ने अपनी नीति में बदलाव किया है। खुफिया जानकारी से पता चलता है कि मसूद अज़हर और उसके भाई तल्हा अल-सैफ ने महिलाओं को जैश-ए-मोहम्मद के संचालन में शामिल करने की अनुमति दी, जिससे इस नई महिला ब्रिगेड का गठन संभव हुआ।