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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन, राजनीतिक जगत में शोक की लहर

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन 81 वर्ष की आयु में हुआ। उनके निधन से झारखंड और देशभर के राजनीतिक हलकों में शोक की लहर है। शिबू सोरेन ने झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए संघर्ष किया और तीन बार मुख्यमंत्री रहे। उनके जीवन में कई स्वास्थ्य समस्याएं रहीं, जिनका उन्होंने सामना किया। जानें उनके जीवन की महत्वपूर्ण बातें और उनके योगदान के बारे में।
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झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन, राजनीतिक जगत में शोक की लहर

शिबू सोरेन का निधन

रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक शिबू सोरेन का सोमवार को निधन हो गया। उन्होंने 81 वर्ष की आयु में दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन की सूचना से झारखंड और देशभर के राजनीतिक हलकों में शोक की लहर फैल गई है।


सूत्रों के अनुसार, गुरुजी पिछले कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थे और उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी। हाल ही में उन्हें ब्रेन स्ट्रोक आया था, जिससे उनके शरीर का बायां हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। उनके स्वास्थ्य की निगरानी के लिए न्यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी और नेफ्रोलॉजी के विशेषज्ञ डॉक्टरों की एक टीम तैनात थी।


शिबू सोरेन लंबे समय से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। वह किडनी की गंभीर बीमारी से ग्रस्त थे और पिछले एक वर्ष से डायलिसिस पर थे। इसके अलावा, उन्हें मधुमेह भी था और उन्होंने पहले हार्ट बाईपास सर्जरी भी करवाई थी।


शिबू सोरेन, जिन्हें 'दिशोम गुरु' के नाम से जाना जाता है, का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में हुआ था। उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा। जब वह केवल 13 वर्ष के थे, तब सूदखोरों ने उनके पिता की हत्या कर दी, जिसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़कर सामाजिक और राजनीतिक संघर्ष का मार्ग अपनाया।


उन्होंने झारखंड को अलग राज्य बनाने के आंदोलन का नेतृत्व किया और तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने। इसके अतिरिक्त, वह मनमोहन सिंह की यूपीए-1 सरकार में कोयला मंत्री भी रहे, लेकिन चिरूडीह हत्याकांड में नाम आने के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। उनके निधन को भारतीय राजनीति, विशेषकर झारखंड के लिए एक अपूरणीय क्षति माना जा रहा है।