झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन, संसद में शोक

शिबू सोरेन का निधन
नई दिल्ली। प्रसिद्ध आदिवासी नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन सोमवार को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में हो गया। वह राज्यसभा के सांसद थे। उनके निधन पर सभी सांसदों ने शोक व्यक्त किया और दो मिनट का मौन रखा। इसके बाद सदन की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
राज्यसभा की कार्यवाही के प्रारंभ में उपसभापति हरिवंश नारायण ने सदन को शिबू सोरेन के निधन की सूचना दी। उन्होंने कहा कि यह गहरा दुख का विषय है कि मौजूदा राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन अब हमारे बीच नहीं रहे।
उपसभापति ने बताया कि शिबू सोरेन को आम जनता में गुरुजी के नाम से जाना जाता था। उनका जन्म 11 मई 1944 को झारखंड के हजारीबाग जिले के एक गांव में हुआ था। वह मैट्रिक पास थे और पेशे से किसान थे। उन्होंने आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए।
झारखंड राज्य के निर्माण में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी। उन्होंने हमेशा वंचितों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और उनके उत्थान के लिए कार्य किया। वह झारखंड के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य में एक प्रमुख व्यक्ति थे।
उपसभापति ने आगे कहा कि ‘दिशोम गुरु’ के नाम से मशहूर शिबू सोरेन गरीबों के बीच में गुरुजी के रूप में लोकप्रिय थे। वह एक जमीनी कार्यकर्ता थे और नवगठित राज्य (झारखंड) के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक बने।
यह ध्यान देने योग्य है कि अपने लंबे राजनीतिक करियर में शिबू सोरेन आठ बार लोकसभा सांसद चुने गए। उपसभापति ने कहा कि उन्होंने लोकसभा में झारखंड की जनता का ईमानदारी से प्रतिनिधित्व किया। इसके अलावा, वह तीन बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे और वर्तमान में भी राज्यसभा के सदस्य थे।
राज्यसभा में बताया गया कि दिवंगत सांसद 2005-2010 के बीच तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे। वह 2004-2006 के बीच केंद्रीय कोयला मंत्री भी रहे। राज्यसभा में उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा गया कि उन्होंने अपने संसदीय जीवन में सामाजिक न्याय, आदिवासी कल्याण और ग्रामीण विकास जैसे मुद्दों पर महत्वपूर्ण योगदान दिया।