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झारखंड में कांग्रेस और जेएमएम के गठबंधन पर उठे सवाल

झारखंड में कांग्रेस और जेएमएम के गठबंधन को लेकर हालिया घटनाक्रम ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से फोन पर बात की, जिसमें मीडिया में चल रही अटकलों पर चर्चा की गई। सोरेन की दिल्ली यात्रा के दौरान भाजपा के एक नेता से मुलाकात ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। क्या कांग्रेस के विधायकों के टूटने का खतरा है? जानें इस राजनीतिक संकट के पीछे की कहानी और संभावित परिणाम।
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झारखंड में कांग्रेस और जेएमएम के गठबंधन पर उठे सवाल

कांग्रेस महासचिव का मुख्यमंत्री से फोन वार्ता

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बुधवार को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से फोन पर बातचीत की, जिसमें मीडिया में चल रही अटकलों पर चर्चा की गई। उन्होंने स्पष्ट किया कि जेएमएम और कांग्रेस का गठबंधन मजबूत है और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा। यह ध्यान देने योग्य है कि मीडिया की खबरों के चलते कांग्रेस महासचिव को चिंता हुई, जिसके कारण उन्होंने मुख्यमंत्री से संपर्क किया।


मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शनिवार से बुधवार तक दिल्ली में थे, लेकिन इस दौरान उन्होंने कांग्रेस के किसी नेता से न तो बातचीत की और न ही मुलाकात की। हालांकि, यह सच है कि वे निजी कारणों से दिल्ली गए थे, क्योंकि उनके ससुर का इलाज गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में चल रहा है। इसी यात्रा के दौरान, शनिवार की रात को उनकी भाजपा के एक प्रमुख नेता से मुलाकात की खबर आई थी। यह जानकारी रविवार को सामने आई। सवाल यह है कि हेमंत सोरेन या जेएमएम ने इन खबरों का खंडन क्यों नहीं किया और कांग्रेस ने तीन दिन तक उनसे संपर्क क्यों नहीं किया?


राजनीतिक स्थिति और संभावित बदलाव

जब हेमंत सोरेन बिना किसी कांग्रेस नेता से मिले बुधवार की शाम को रांची लौटे, तब केसी वेणुगोपाल ने उनसे फोन पर बात की। इससे पहले, जेएमएम के आधिकारिक एक्स हैंडल से एक संक्षिप्त पोस्ट किया गया, जिसमें लिखा गया, 'झारखंड झुकेगा नहीं'। यह सवाल उठता है कि इस तरह की संक्षिप्त टिप्पणी की आवश्यकता क्यों पड़ी और क्या मुख्यमंत्री को किसी प्रकार की धमकी दी गई है? ध्यान देने योग्य है कि पार्टी के प्रवक्ता इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं।


वहीं, झारखंड भाजपा में चार पूर्व मुख्यमंत्रियों को छोड़कर अन्य नेता इस स्थिति से खुश हैं। भाजपा में ऐसे नेताओं की पहचान की जा रही है, जो संभावित मंत्री बन सकते हैं। इस पर चर्चा भी हो रही है कि भाजपा के पास कौन से मंत्रालय आएंगे। कुल मिलाकर, भाजपा और जेएमएम दोनों ही चुप हैं, और खबरों को फैलने दिया जा रहा है, जिससे कांग्रेस की चिंता बढ़ रही है।


कांग्रेस की चिंता का एक और कारण यह है कि पार्टी के नेताओं को झारखंड में पार्टी के टूटने का खतरा महसूस हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि जेएमएम के नेता भाजपा के संपर्क में हैं और कांग्रेस को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। बिहार चुनाव के बाद, हेमंत सोरेन इस मामले में गंभीर हो गए हैं। उन्हें यह भी पता है कि राहुल गांधी प्रादेशिक पार्टियों को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए, हेमंत सोरेन ने पहले ही कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की योजना बना ली है। कहा जा रहा है कि यदि सब कुछ योजना के अनुसार हुआ, तो कांग्रेस के 16 में से 12 और राजद के सभी चार विधायक जेएमएम में शामिल हो जाएंगे। हेमंत सोरेन के पास 34 विधायक हैं, और सदन में बहुमत का आंकड़ा 41 है। वे पूरी तरह से आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ रहे हैं।