ट्रंप और पुतिन की दोस्ती: एक नई विश्व व्यवस्था का संकेत

ट्रंप की पुतिन के साथ गहरी दोस्ती
जैसा कि अपेक्षित था, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी पहचान को फिर से स्पष्ट किया। दुनिया ने देखा कि 'अमेरिका फर्स्ट' के सिद्धांत के तहत, ट्रंप को पुतिन जैसे नेताओं के साथ रहना पसंद है। पहले कार्यकाल में, उन्होंने उत्तर कोरिया के किम जोंग-उन के साथ संबंध बनाए और अब दूसरे कार्यकाल में, वे पुतिन को अपने करीबी मित्र के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। यह स्थिति यूरोपीय सहयोगियों के लिए चिंता का विषय बन गई है। अलास्का में ट्रंप और पुतिन की मुलाकात से यह स्पष्ट हुआ कि पुतिन ने इस वार्ता में जीत हासिल की। उन्होंने ट्रंप को मास्को आने का निमंत्रण दिया और कहा कि यदि ट्रंप राष्ट्रपति बने रहते हैं, तो वे यूक्रेन के मामले में कोई कार्रवाई नहीं करेंगे।
विश्व राजनीति में बदलाव
दुनिया ने लाइव देखा कि ट्रंप और पुतिन के बीच कितनी गहरी मित्रता है। ट्रंप ने पुतिन का स्वागत लाल कालीन पर किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि उनकी और उनकी पार्टी की विश्व राजनीति के प्रति एक स्पष्ट योजना है। पुतिन ने अलास्का से शक्ति और तस्वीरें लेकर लौटे, जबकि ट्रंप की यात्रा का उद्देश्य अपने प्रिय 'स्ट्रॉन्गमैन' से मान्यता प्राप्त करना था। यह स्पष्ट था कि ट्रंप को पश्चिमी देशों में पहले जैसा सम्मान नहीं मिल रहा है।
अलास्का की बैठक के परिणाम
अलास्का की बैठक से एक नई विश्व व्यवस्था की कठोर सच्चाई सामने आई है। ट्रंप की दुनिया में रूस की स्थिति मजबूत हो रही है, और निरंकुश शासकों का प्रभाव बढ़ रहा है। यह अमेरिका की दिशा और नैतिकता को प्रभावित कर रहा है। अलास्का में, दो 'स्ट्रॉन्गमैन' आमने-सामने थे, जिसमें ट्रंप ने खुद को मजाक में उड़ाया और अपने 'ग्रेट अमेरिका' का मजाक बनाया। यह राजनीतिक रंगमंच था, जिसमें ट्रंप ने अपनी स्थिति को कमजोर होते हुए देखा।
पुतिन की स्थिति
पुतिन शांत और आत्मविश्वासी नजर आए, जबकि ट्रंप दबाव में दिखे। ट्रंप ने पुतिन को बिना शर्त वैधता दी और यूक्रेन के मामले में उनकी 'शांति योजना' का समर्थन किया। यह स्पष्ट था कि ट्रंप की 'आर्ट ऑफ द डील' वास्तव में नाटो देशों की 'आर्ट ऑफ रिट्रीट' साबित हो सकती है।
अमेरिका की नई पहचान
यह केवल एक राजनीतिक प्रदर्शन नहीं था, बल्कि पुतिन के लिए एक भू-राजनीतिक उपहार था। ट्रंप ने नाटो के भीतर अविश्वास पैदा किया और पुतिन के शब्दों को दोहराते हुए 'व्यापक शांति समझौता' की बात की। यह अमेरिका की प्रतिबद्धताओं को कमजोर करने का संकेत है। ट्रंप ने कहा कि दो परमाणु शक्तियों का साथ आना अच्छा है, जिससे चीन और यूरोपीय संघ को नजरअंदाज किया गया।
निष्कर्ष
पुतिन की भाषा में 'युद्ध' या 'हमला' का कोई उल्लेख नहीं था, बल्कि उन्होंने इसे 'घटना' और 'त्रासदी' कहा। ट्रंप ने कोई चुनौती नहीं दी, जिससे एक युद्ध अपराधी को अमेरिकी धरती पर सुरक्षा मिली। यह अमेरिका की नैतिकता को कमजोर करने का संकेत है। अमेरिका अब 'फ्री वर्ल्ड' का नेता नहीं, बल्कि 'स्ट्रॉन्गमैन' की मंडली का हिस्सा बनता जा रहा है।