ट्रंप और पुतिन की बैठक: शांति समझौते की नई दिशा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई बैठक ने वैश्विक राजनीति में एक नया मोड़ लाया है। इस वार्ता में शांति समझौते की संभावनाओं पर चर्चा की गई, जो रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की ने इस पहल का स्वागत किया है, जबकि भारत ने भी शीघ्र समाधान की आवश्यकता पर जोर दिया है। क्या यह वार्ता स्थायी शांति की दिशा में निर्णायक साबित होगी? जानें इस लेख में।
Aug 16, 2025, 20:09 IST
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अलास्का में ट्रंप-पुतिन की महत्वपूर्ण बैठक
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई उच्चस्तरीय बैठक को वैश्विक राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में इस शिखर वार्ता ने कई संकेत दिए हैं— न केवल युद्धविराम की अवधारणा को पीछे छोड़ शांति समझौते की ओर रुख करने का इरादा, बल्कि अमेरिका की विदेश नीति में भी एक संभावित बदलाव की आहट।
ट्रंप का शांति समझौते का प्रस्ताव
राष्ट्रपति ट्रंप ने स्पष्ट रूप से कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को समाप्त करने का "सबसे अच्छा तरीका" है कि एक सीधे शांति समझौते की दिशा में बढ़ा जाए, न कि केवल एक अस्थायी युद्धविराम के ज़रिए, जो अक्सर टूट जाया करते हैं। यह ट्रंप की पूर्ववर्ती नीति के ठीक उलट है, जहां अमेरिका और यूरोपीय सहयोगी देशों ने अब तक युद्धविराम को प्राथमिकता दी थी। ट्रंप का यह कथन कि "रूस एक बहुत बड़ी शक्ति है और यूक्रेन नहीं है", अंतरराष्ट्रीय राजनीति के यथार्थवादी दृष्टिकोण को दर्शाता है— जहां शक्ति संतुलन ही निर्णयों को प्रभावित करता है।
यूक्रेन का सकारात्मक रुख
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेन्स्की ने इस पहल का स्वागत करते हुए अमेरिका, रूस और यूक्रेन के बीच त्रिपक्षीय वार्ता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका की ओर से यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी को लेकर सकारात्मक संकेत मिले हैं। ज़ेलेन्स्की सोमवार को वॉशिंगटन डी.सी. यात्रा पर जा रहे हैं, जहाँ वह ट्रंप से व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे।
पुतिन का बयान और भारत की प्रतिक्रिया
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने यह दावा किया है कि यदि ट्रंप 2022 के दौरान राष्ट्रपति होते, तो यूक्रेन से युद्ध ही नहीं होता। पुतिन का यह कथन दो बातों की ओर संकेत करता है। पहला यह है कि ट्रंप और पुतिन के बीच वैचारिक सामंजस्य है जो कूटनीति को सरल बना सकता है। दूसरी ओर, भारत ने ट्रंप-पुतिन शिखर सम्मेलन का स्वागत करते हुए कहा है कि विश्व एक शीघ्र समाधान की प्रतीक्षा कर रहा है। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "आगे का रास्ता केवल संवाद और कूटनीति के माध्यम से ही निकल सकता है।"
अमेरिका की नीति पर सवाल
राष्ट्रपति ट्रंप एक ओर भारत, चीन और अन्य देशों पर यह आरोप लगाते हैं कि वे रूस से तेल खरीद कर यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से फंडिंग कर रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर, अमेरिका खुद रूस के साथ व्यापार बढ़ा रहा है। इस परिप्रेक्ष्य में, ट्रंप की विदेश नीति को तथाकथित नैतिकता की आड़ में चलने वाली ‘व्यवसायिक प्राथमिकता’ कहा जा सकता है।
शांति की संभावनाएँ
बहरहाल, डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तुत नई रणनीति— जिसमें युद्धविराम की जगह स्थायी शांति समझौते को प्राथमिकता दी जा रही है, एक निर्णायक मोड़ हो सकता है। यदि यह पहल सफल होती है, तो न केवल लाखों लोगों की जान बच सकती है, बल्कि वैश्विक स्थिरता को भी बल मिल सकता है। हालांकि, इस प्रक्रिया में कई जटिलताएँ हैं। अंततः, यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि क्या यह वार्ता स्थायी शांति की दिशा में निर्णायक कदम होगी, परंतु इसमें संभावनाओं के नए द्वार अवश्य खुले हैं।