ट्रंप की टिप्पणियों से भारतीय प्रभु वर्ग में हलचल

ट्रंप की विवादास्पद टिप्पणियाँ
डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टिप्पणियाँ भारतीय प्रभु वर्ग और मीडिया के लिए एक चुनौती बन गई हैं, क्योंकि ये भारतवासियों के inflated अहंकार में पिन चुभोने का काम कर रही हैं। यह अहंकार मौजूदा सत्ताधारी पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संपत्ति रहा है।
ट्रंप ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मृत बताकर देश के प्रभु वर्ग को आहत किया है। यह टिप्पणी उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर भारत के असहमति के बाद की। इसके बाद, अमेरिकी वाणिज्य मंत्री स्कॉट बेसेंट ने एक टीवी साक्षात्कार में कहा कि ट्रंप इस रुख से नाराज हैं। बेसेंट ने द्विपक्षीय समझौते की संभावनाओं पर कहा कि अब यह भारत पर निर्भर करता है। अमेरिका अपनी शर्तों पर अडिग है, और भारत को यह तय करना है कि वह उन्हें मानता है या नहीं। उन्होंने यह भी कहा कि 'वैसे भी भारत कोई बड़ी वैश्विक शक्ति नहीं है।'
यह टिप्पणी भी भारतीय प्रभु वर्ग के लिए एक और कांटा साबित हुई है। ट्रंप प्रशासन पहले ही पाकिस्तान को अधिक प्राथमिकता देकर भारत को भावनात्मक चोट पहुंचा चुका है। यह भारतीय शासक वर्गों के लिए एक बड़ा संकट है, क्योंकि अमेरिका उनकी पसंदीदा विदेश नीति का केंद्र रहा है। अमेरिकी नेताओं की टिप्पणियाँ उनके inflated अहंकार के गुब्बारे में पिन चुभोने का काम कर रही हैं। इस गुब्बारे को संभालने की कोशिश की जा रही है।
मुखधारा मीडिया में ट्रंप को जवाब देने के लिए आंकड़ों, सारणियों और ग्राफ का सहारा लिया गया है। भारत की जीडीपी वृद्धि दर का उल्लेख करते हुए यह बताने की कोशिश की गई है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मृत नहीं है, बल्कि फल-फूल रही है। लेकिन यह केवल आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि धारणाओं की भी। कई आर्थिक चुनौतियों को नजरअंदाज करते हुए, भारत में ऐसे आंकड़ों के माध्यम से यह धारणा बनाई गई थी कि आज दुनिया में भारत का कोई सानी नहीं है। जबकि ट्रंप और उनके प्रशासन के अधिकारियों की टिप्पणियों का संदेश है कि दुनिया इस रूप में भारत को नहीं देखती। यह सत्ता पक्ष और उनके गढ़े नैरेटिव्स पर एक तरह का वज्रपात है।