ट्रंप की विदेश नीति में निराशा: रूस, ईरान और चीन के साथ चुनौतियाँ

ट्रंप की बातचीत और वैश्विक तनाव
रूस, ईरान और चीन के साथ टकराव के हर मोड़ पर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को निराशा का सामना करना पड़ रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि अमेरिका का दबाव बनाने वाला कार्ड अब प्रभावी नहीं रहा है।
हाल ही में, ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से एक घंटे से अधिक समय तक फोन पर बातचीत की, जिसका उद्देश्य यूक्रेन पर संभावित हमलों को रोकना था। पिछले शनिवार को, यूक्रेन ने रूस के रणनीतिक ठिकानों पर हमले किए, जिसके बाद रूस की जवाबी कार्रवाई की तैयारी की चर्चा होने लगी। इस स्थिति ने ट्रंप प्रशासन की शांति वार्ता की कोशिशों को बेकार बना दिया है। बुधवार को ट्रंप से बातचीत के पहले, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेन्स्की ने पुतिन से सीधी वार्ता की पेशकश की, लेकिन पुतिन ने कहा कि जब ‘यूक्रेन आतंकवाद का रास्ता अपना चुका है, तो बातचीत का कोई मतलब नहीं है।’
ट्रंप ने बातचीत के दौरान कहा कि यह एक सकारात्मक चर्चा थी, लेकिन इससे तुरंत शांति की संभावना नहीं बन सकी। पुतिन ने स्पष्ट किया कि उन्हें हालिया हमलों का जवाब देना होगा। इसके बाद, ट्रंप ने ईरान के साथ चल रही परमाणु वार्ता में पुतिन की मदद की गुजारिश की। ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह खोमेनई ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वे यूरेनियम के संवर्धन को नहीं रोकेंगे। अब ट्रंप ने ईरान को मनाने की उम्मीद पुतिन से जोड़ी है।
चीन के साथ व्यापार संबंधों को संभालने की ट्रंप की कोशिशें भी कठिनाई में हैं। ट्रंप ने कहा कि वे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पसंद करते हैं, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि ‘शी बहुत सख्त हैं और उनके साथ डील करना मुश्किल है।’ अमेरिकी मीडिया में यह चर्चा थी कि ट्रंप और शी के बीच शुक्रवार को वार्ता होने वाली है। इस प्रकार, हर मोड़ पर ट्रंप को निराशा का सामना करना पड़ रहा है, शायद इसलिए कि अमेरिका का दबाव बनाने वाला कार्ड अब प्रभावी नहीं रहा है।