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ट्रंप के नए टैरिफ से अमेरिका में हलचल, अदालत में उठे सवाल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिससे अमेरिका में हलचल मच गई है। यह निर्णय 1 अगस्त से लागू होगा और इसके खिलाफ 12 राज्यों और व्यापारियों ने अदालत में चुनौती दी है। ट्रंप का तर्क है कि यह एक 'राष्ट्रीय आपात स्थिति' है, लेकिन अदालत में इस पर सुनवाई चल रही है। क्या ट्रंप ने अपने अधिकारों का उल्लंघन किया है? जानें पूरी कहानी में।
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ट्रंप के नए टैरिफ से अमेरिका में हलचल, अदालत में उठे सवाल

ट्रंप का टैरिफ ऐलान

नई दिल्ली- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को भारत से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ और अतिरिक्त दंडात्मक शुल्क लगाने की घोषणा की है। यह निर्णय 1 अगस्त से प्रभावी होगा। ट्रंप के इस अप्रत्याशित टैरिफ ऐलान ने अमेरिका में हलचल मचा दी है। गुरुवार को अमेरिकी अदालत यह तय करेगी कि क्या ट्रंप ने विदेशी सामानों पर आयात शुल्क लगाकर अपने संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया है या नहीं?


अदालत में चुनौती

अमेरिका के 12 राज्यों और छोटे व्यापारियों ने ट्रंप के टैरिफ अधिकार को अदालत में चुनौती दी है। ट्रंप ने पहले भी अप्रैल और फरवरी में चीन, कनाडा, मैक्सिको और अन्य देशों से आने वाले उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए थे। उनका तर्क था कि ये कदम अमेरिका की अर्थव्यवस्था, रोजगार और ड्रग्स की तस्करी से निपटने के लिए आवश्यक हैं। लेकिन अब ये निर्णय कानूनी विवादों में उलझ गए हैं। अमेरिका के 12 डेमोक्रेटिक शासित राज्यों और 5 छोटे व्यापार संगठनों ने कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति को इस तरह के निर्णय अकेले लेने का अधिकार नहीं है। संविधान के अनुसार, टैक्स और टैरिफ से संबंधित अधिकार केवल संसद के पास है। ट्रंप ने IEEPA नामक एक पुराने कानून का सहारा लिया है, जिसे आपातकाल की स्थिति में दुश्मन देशों पर प्रतिबंध लगाने के लिए बनाया गया था। यह कानून 1977 में अस्तित्व में आया था, लेकिन टैरिफ लगाने के लिए इसका यह पहला उपयोग है। ट्रंप का कहना है कि यह एक 'राष्ट्रीय आपात स्थिति' है, क्योंकि अमेरिका को व्यापार में भारी घाटा हो रहा है और विदेश से आने वाली फेंटानिल की तस्करी नहीं रुक रही है। हालांकि, जिन देशों पर टैरिफ लगाया गया है, उन्होंने ट्रंप के तर्कों को खारिज कर दिया है।


निचली अदालत का फैसला

इससे पहले मई में एक निचली अदालत ने कहा था कि ट्रंप ने टैरिफ लगाकर अपने अधिकारों की सीमा का उल्लंघन किया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि IEEPA जैसे कानून का उपयोग केवल 'सच्ची आपात स्थिति' में किया जा सकता है, न कि पुराने व्यापार घाटे जैसे मामलों में। आज होने वाली सुनवाई में अमेरिका की अपील अदालत के सभी 11 जज शामिल होंगे, जिनमें से 8 को डेमोक्रेट और 3 को रिपब्लिकन राष्ट्रपतियों ने नियुक्त किया है। यदि फैसला ट्रंप के खिलाफ आता है, तो यह मामला सीधे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकता है।