Newzfatafatlogo

ट्रंप ने अमेरिका में यात्रा प्रतिबंधों की संख्या बढ़ाई

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक नए घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत अमेरिका में यात्रा प्रतिबंधित देशों की संख्या 19 से बढ़कर 39 हो गई है। यह बदलाव 1 जनवरी 2026 से लागू होगा और इसका उद्देश्य अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है। ट्रंप ने पहले भी मुस्लिम बहुल देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी थी। इस बार, कई देशों में आतंकवादी गतिविधियों और भ्रष्टाचार को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। जानें इस नए आदेश के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
 | 
ट्रंप ने अमेरिका में यात्रा प्रतिबंधों की संख्या बढ़ाई

नए यात्रा प्रतिबंधों की घोषणा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 16 दिसंबर को एक नया घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किएइससे अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंधित देशों की संख्या 19 से 39 तक बढ़ गईयह बदलाव 1 जनवरी 2026 से लागू होगाव्हाइट हाउस के अनुसार यह प्रतिबंध उन देशों पर लगाए गए हैं जहां जानकारी साझा करने में गंभीर कमियां हैंइसका उद्देश्य अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोध और इमीग्रेशन कानून को मजबूत करना हैकई देशों में आतंकवादी गतिविधियां, भ्रष्टाचार और वीजा ओवरस्टे की हाई फ्रीक्वेंसी को इसकी वजह बताया गया है


वीजा धारकों के लिए छूट

जिन लोगों के पास पहले से वीजा है, जो अमेरिका के वैध स्थायी निवासी हैं, उन्हें इन प्रतिबंधों से छूट दी गई हैघोषणा में कहा गया है कि ये बदलाव एक जनवरी से प्रभावी होंगेजून में ट्रंप ने घोषणा की थी कि 12 देशों के नागरिकों को अमेरिका आने से प्रतिबंधित किया जाएगा


ट्रंप का इमीग्रेशन नीति पर जोर

आपको बता दें कि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी मुस्लिम बहुल देशों पर ट्रैवल बैन लगाया थाजिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दी थी। बाइडन जब आए तो उन्होंने यह ट्रैवल बैंड्स हटा दिए। अब दूसरे कार्यकाल में ट्रंप ने एक बार फिर से यह कारवाही शुरू कर दी है। जनवरी 2025 से ट्रंप ने इमीग्रेशन को सख्त करना शुरू कर दिया था। जून में 19 देशों पर बैन लगाया गया। नवंबर में वाशिंगटन में एक अफगान व्यक्ति द्वारा नेशनल गार्ड पर हमले के बाद ट्रंप ने और सख्ती की बात कही। दिसंबर में यह विस्तार हुआ। व्हाइट हाउस का कहना है कि यह डाटा आधारित फैसला है। राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह फैसला जरूरी है। हालांकि कई संगठनों ने इसकी आलोचना की है। उनका कहना है कि यह कई देशों के लोगों को अनुचित तरीके से प्रभावित करेगा।