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ट्रम्प का ईरान पर सैन्य कार्रवाई का निर्णय, इजरायल में बढ़ा तनाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान पर सैन्य कार्रवाई की संभावना पर विचार करने का निर्णय लिया है। इजरायल में हालिया हमलों के बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई है, जिसमें ईरानी मिसाइलों ने अस्पतालों और आवासीय इमारतों को निशाना बनाया। भारत ने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए कदम उठाए हैं। इस लेख में जानें कि कैसे यह संघर्ष वैश्विक स्तर पर प्रभाव डाल सकता है।
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ट्रम्प का ईरान पर सैन्य कार्रवाई का निर्णय, इजरायल में बढ़ा तनाव

ट्रम्प की सैन्य कार्रवाई पर विचार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संकेत दिया है कि वह अगले दो हफ्तों में यह तय करेंगे कि अमेरिका ईरान पर सीधा सैन्य हमला करेगा या नहीं। उन्होंने तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत के लिए संभावनाओं का जिक्र किया। यह जानकारी व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने दी, जो ईरान और इजरायल के बीच हालिया हिंसा के बाद आई है।


ईरान के फोर्डो संयंत्र पर हमला

ट्रम्प ईरान के फोर्डो यूरेनियम संवर्धन संयंत्र पर हमले पर विचार कर रहे हैं, जो एक पहाड़ के नीचे स्थित है और इसे अमेरिकी सेना के बंकर-बस्टर बमों से भी सुरक्षित माना जाता है।


इजरायल में हमले के बाद की स्थिति

गुरुवार को इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज़ ने ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को चेतावनी दी। यह चेतावनी तब आई जब ईरानी मिसाइलों ने दक्षिणी इजरायल के एक अस्पताल और तेल अवीव के पास आवासीय इमारतों पर हमला किया, जिसमें 240 से अधिक लोग घायल हुए। काट्ज़ ने कहा कि इजरायल की सेना को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए खामेनेई का अस्तित्व समाप्त करना होगा।


इजरायली जवाबी कार्रवाई

मिसाइल हमलों के जवाब में, इजरायली लड़ाकू विमानों ने ईरान के परमाणु ढांचे पर हमलों की एक नई लहर शुरू की। इजरायल ने पहले भी ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाया है।


वेइज़मैन इंस्टीट्यूट पर हमला

ईरान के मिसाइल हमलों में से एक इजरायल के वेइज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस पर हुआ, जो जीवन विज्ञान और भौतिकी में प्रमुख शोध केंद्र है। हालांकि किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है, लेकिन हमले ने कई प्रयोगशालाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाया।


भारत का नागरिकों को निकालना

दुनिया भर की सरकारें मध्य पूर्व से अपने नागरिकों को निकालने के लिए तेजी से कदम उठा रही हैं। भारत ने उत्तरी ईरान से 110 छात्रों को सड़क मार्ग से येरेवन, आर्मेनिया पहुंचाया और फिर 18 जून को विशेष विमान से वहां से निकाला।