ट्रम्प की नई टैरिफ नीति से भारत की व्यापारिक उम्मीदें प्रभावित

ट्रम्प का टैरिफ निर्णय
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने और रूस से हथियार व कच्चा तेल खरीदने पर अतिरिक्त जुर्माना लगाने की घोषणा की है, जिससे भारत की कम टैरिफ की उम्मीदों को झटका लगा है। ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर लिखा, "आपके ध्यान के लिए धन्यवाद।" उन्होंने भारत को "बहुत बड़ा दुरुपयोगकर्ता" बताते हुए कहा कि "उनके टैरिफ विश्व में सबसे अधिक हैं।"
ट्रम्प की व्यापारिक नीति
ट्रम्प की टैरिफ नीति
20 जनवरी को अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद, ट्रम्प ने सभी प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लगाए। उनका दावा है कि ये देश अमेरिकी सामानों पर ऊंचे शुल्क वसूलते हैं। उनका तर्क है कि इससे या तो साझेदार देश अपने टैरिफ कम करेंगे या अमेरिका को अधिक कर राजस्व मिलेगा। भारत, जो अमेरिकी सामानों पर औसतन 17% टैरिफ लगाता है, ट्रम्प के निशाने पर रहा।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता
12 जनवरी को दिल्ली में व्यापारिक अधिकारियों की एक बैठक हुई, जिसमें वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने सकारात्मक उम्मीदें जताईं। फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रम्प से मुलाकात की, जिसमें 2030 तक 500 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार का लक्ष्य रखा गया। भारत ने मोटरसाइकिल जैसे उत्पादों पर शुल्क कम किए, लेकिन इन्हें टैरिफ वार्ता से जोड़ने से इनकार किया।
रेसिप्रोकल टैरिफ का प्रभाव
रेसिप्रोकल टैरिफ का प्रभाव
मई में ट्रम्प ने सभी देशों पर 'पारस्परिक टैरिफ' की योजना बनाई, जो 2 अप्रैल से लागू होनी थी। भारत पर 26% टैरिफ तय हुआ। हालांकि, एक अमेरिकी व्यापार अदालत ने इसे अवैध ठहराया, लेकिन अपील कोर्ट ने इसे स्थगित कर दिया। 9 अप्रैल को ट्रम्प ने टैरिफ रोककर देशों को पुनः बातचीत का मौका दिया। भारत ने जवाबी टैरिफ नहीं लगाए, बल्कि मई में ऑटोमोटिव पार्ट्स पर 'जीरो फॉर जीरो' प्रस्ताव रखा।
वार्ता में अड़चन
वार्ता में अड़चन
जून में गोयल ने अमेरिका यात्रा की, लेकिन डेयरी और कृषि क्षेत्रों में अमेरिकी मांगों पर भारत अड़ा रहा। ट्रम्प की 30 जुलाई की घोषणा ने स्पष्ट किया कि 1 अगस्त तक कोई समझौता नहीं हुआ, जिससे भारत पर 26% टैरिफ लागू होगा।