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डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती: एक महान राष्ट्रवादी का योगदान

आज डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती है, जो भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व रहे हैं। उनका संघर्ष भारत की एकता और अखंडता के लिए अमूल्य था। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के अलग संविधान का विरोध किया और भारतीय जनसंघ की स्थापना की। उनकी विचारधारा और योगदान आज भी प्रेरणादायक हैं। इस अवसर पर, देश उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है।
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डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती: एक महान राष्ट्रवादी का योगदान

डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती

आज भारत माता के महान सपूत डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जन्म जयंती है। उनका जन्म 6 जुलाई 1901 को हुआ था, और अगले वर्ष उनकी सवा सौवीं जयंती मनाई जाएगी। स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान के लिए उन्हें याद किया जाता है, जब उन्होंने भारत को एक राष्ट्र के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर, देश उनके प्रति गहरी श्रद्धा और सम्मान व्यक्त कर रहा है। वे भारतीय राजनीति, समाज, और राष्ट्रीय सुरक्षा में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व रहे हैं।


भारत की एकता के लिए संघर्ष

डॉक्टर मुखर्जी का संघर्ष भारत की एकता और अखंडता के लिए अमूल्य है। वे पहले नेताओं में से थे जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के अलग संविधान का मुद्दा उठाया। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के भारत में पूर्ण एकीकरण के लिए अपने जीवन को समर्पित किया। 5 अगस्त 2019 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त करके इस एकीकरण को साकार किया, जो डॉक्टर मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि थी।


राजनीतिक जीवन और विचारधारा

डॉक्टर मुखर्जी केवल एक सामान्य नेता नहीं थे, बल्कि वे एक महान चिंतक और समाज सुधारक भी थे। उन्होंने कांग्रेस के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की, लेकिन बाद में मुस्लिम लीग के साथ कांग्रेस के समझौतों के कारण असंतुष्ट होकर हिंदू महासभा से जुड़ गए। 1944 में वे हिंदू महासभा के अध्यक्ष बने और इस दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किए।


कश्मीर पर दृष्टिकोण

डॉक्टर मुखर्जी का कश्मीर के संबंध में दृष्टिकोण भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण रहा। उन्होंने अनुच्छेद 370 का विरोध किया और कहा कि इससे भारत की एकता को खतरा होगा। उन्होंने 'एक प्रधान, एक निशान, और एक संविधान' का आह्वान किया। 1953 में उनकी गिरफ्तारी के दौरान उनकी मृत्यु हो गई, जिसने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी।


भारतीय जनसंघ की स्थापना

1951 में, डॉक्टर मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना की, जिसका उद्देश्य एक मजबूत राष्ट्रवाद की विचारधारा को स्थापित करना था। यह दल आज भारतीय जनता पार्टी के रूप में विकसित हुआ है। उनका मानना था कि भारतीय संस्कृति और हिंदू सभ्यता के मूल तत्वों को ध्यान में रखकर ही भारत को आगे बढ़ाया जा सकता है।


शिक्षा और आर्थिक दृष्टिकोण

डॉक्टर मुखर्जी ने शिक्षा के महत्व को समझा और भारतीय संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने हमेशा एक स्वतंत्र और सशक्त आर्थिक नीति की आवश्यकता महसूस की। उनका मानना था कि एक राष्ट्र की ताकत उसकी आर्थिक स्वतंत्रता में निहित है।


124वीं जयंती पर श्रद्धांजलि

डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 124वीं जयंती पर, देश उनके संघर्षों और विचारों को सम्मान के साथ याद कर रहा है। हमें उम्मीद है कि उनकी सवा सौवीं जयंती का समारोह पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा और उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।