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डोनाल्ड ट्रंप और इलॉन मस्क: अमेरिका का तमाशा और पॉपुलिज़्म का खेल

इस लेख में, हम डोनाल्ड ट्रंप और इलॉन मस्क के बीच की राजनीति और पॉपुलिज़्म के खेल पर चर्चा करेंगे। कैसे ये दोनों नेता अमेरिका को एक तमाशा बना रहे हैं और उनके कार्यों का समाज पर क्या प्रभाव पड़ रहा है, जानें। क्या ट्रंप और मस्क वास्तव में अमेरिका के लिए कुछ कर रहे हैं, या वे केवल अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए खेल रहे हैं? इस लेख में इन सवालों के जवाब खोजें।
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डोनाल्ड ट्रंप और इलॉन मस्क: अमेरिका का तमाशा और पॉपुलिज़्म का खेल

अमेरिका का मनोरंजन और पॉपुलिज़्म

सोचिए, डोनाल्ड ट्रंप और इलॉन मस्क के बारे में! एक तरफ अमेरिका का राष्ट्रपति और दूसरी तरफ दुनिया का सबसे अमीर व्यक्ति। ट्रंप का अहंकार भरा चेहरा कहता है, 'मैं ही अमेरिका हूं', जबकि मस्क का अंदाज है, 'मैं ही कुबेर हूं'! दोनों के पास करोड़ों फॉलोवर हैं, लेकिन असल में ये केवल मनोरंजन के प्रतीक बन गए हैं। ये दोनों ऐसे जोकर हैं, जिन्हें किस्मत ने मौका दिया और समय ने उन्हें प्रसिद्ध बना दिया। अमेरिका में इनकी लोकप्रियता का कारण यह है कि लोग इनकी हरकतों का मजा लेते हैं।


डोनाल्ड ट्रंप ने प्रेस कांफ्रेंस का एक नियमित कार्यक्रम बना लिया है, जिसमें वे अपने बालों और चेहरे के साथ खेलते हुए कैमरे के सामने आते हैं। वे हर दिन 'मैं महान हूं', 'ग्रेट', 'ब्यूटीफुल' जैसे शब्दों का जाप करते हैं। उनका दावा है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर कराया और पुतिन को खरी-खरी सुनाई। ट्रंप का यह मानना है कि उनके हाथ में एक रिमोट है, जिससे वे दुनिया के देशों को नियंत्रित कर सकते हैं।


वहीं, इलॉन मस्क ने अपने छोटे बच्चे के साथ राजनीति में नए रंग भरने की कोशिश की है। हाल ही में, उन्होंने ट्रंप को महापापी करार दिया और अमेरिका में नई पार्टी की आवश्यकता की बात की।


अमेरिका अब एक तमाशा बन चुका है, जिसमें लोग सत्य और बुद्धि को भूलकर झूठ के मुखौटे पहनने लगे हैं। अमेरिका ने 1901 से 2023 के बीच 423 नोबेल पुरस्कार जीते हैं, लेकिन अब ट्रंप और मस्क के हाथों उसकी पहचान क्या रह गई है?


डोनाल्ड ट्रंप की तुलना रावण से की जा सकती है, जो अपने मुखड़े पर कई मुखौटे चिपकाए हुए था। आजकल लोग अपनी सेल्फी से खुद को बेचने की होड़ में हैं। मस्क ने ट्विटर खरीदने का फैसला क्यों किया? क्या यह केवल अपने ब्रांड को बढ़ावा देने के लिए है?


समय की हवा में असलियत मिटती जा रही है। ट्रंप और मोदी जैसे नेता अपने चेहरों को हर समय स्क्रीन पर चिपकाए रखते हैं। जो दिखता है, वही बिकता है।


इलॉन मस्क ने चुनाव प्रचार के दौरान ट्रंप के मंच पर आने से लेकर अब तक कई तरह के फोटोशूट और एक्शन किए हैं। पहले वे उद्यमिता के प्रतीक थे, लेकिन अब उनकी पहचान बदल गई है।


अमेरिका में असलियत अब जंग खा रही है। हालांकि, नासा के वैज्ञानिकों या शोधकर्ताओं ने कभी सेल्फी लेकर नोबेल पुरस्कार कमेटी को नहीं भेजा। अमेरिका का खोखला होना तय है।


डोनाल्ड ट्रंप ने राजनीति में जिस तरह से कारोबार को अपनाया है, उसका असर हर जगह है। यह पॉपुलिस्ट राजनीति नहीं, बल्कि तेज़ी से बदलते समय का परिणाम है।


ट्रंप को अमेरिका की नहीं, बल्कि अपनी चिंता है। वे अमेरिका के नाम पर खुद को बेच रहे हैं। निष्कर्ष यह है कि ट्रंप अमेरिका को भी बेच रहे हैं और अमेरिका को इसका पता नहीं है।