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डोनाल्ड ट्रंप का 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल': क्या उच्च शिक्षा होगी और महंगी?

डोनाल्ड ट्रंप का 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल' उच्च शिक्षा को आम छात्रों के लिए और कठिन बना सकता है। इस बिल में छात्र ऋण की सीमाएँ, ग्रैड प्लस लोन का अंत, और कम सैलरी वाले डिग्री प्रोग्राम पर प्रभाव शामिल हैं। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे उच्च शिक्षा महंगी हो सकती है। जानें इस बिल के प्रमुख प्रावधान और इसके संभावित प्रभाव।
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डोनाल्ड ट्रंप का 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल': क्या उच्च शिक्षा होगी और महंगी?

ट्रंप का नया बिल और उच्च शिक्षा पर प्रभाव

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पेश किया गया 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल एक्ट' उच्च शिक्षा को आम छात्रों के लिए और अधिक कठिन बना सकता है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस बिल में छात्र ऋण, विश्वविद्यालयों के एंडोमेंट टैक्स और स्वास्थ्य योजनाओं में कटौती जैसे कई महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं, जो कॉलेजों को कम सुलभ बना सकते हैं।


हालांकि ट्रंप ने इसे अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए एक 'रॉकेट शिप' बताया है, लेकिन शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इससे उच्च शिक्षा की लागत बढ़ सकती है और सामाजिक तथा आर्थिक विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। आइए इस बिल के मुख्य प्रावधानों और इसके छात्र ऋण पर प्रभाव को समझते हैं।


क्या है 'वन बिग ब्यूटीफुल बिल'?

डोनाल्ड ट्रंप ने इस बिल को 'सबसे बड़ा और खूबसूरत बिल' करार दिया है, जिसमें टैक्स और खर्च से जुड़े कई प्रावधान शामिल हैं। इसमें उच्च शिक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलाव किए गए हैं। रिपब्लिकन नेताओं का कहना है कि ये बदलाव कॉलेजों में जवाबदेही लाने के लिए आवश्यक हैं।


छात्र ऋण की सीमा

इस बिल के अनुसार, ग्रेजुएट छात्रों को संघीय सरकार से अधिकतम $100,000 और डॉक्टरेट, मेडिकल या प्रोफेशनल डिग्री के लिए $200,000 तक ही उधार लेने की अनुमति होगी। अमेरिकी सरकार का कहना है कि इससे उधारी का चक्र टूटेगा और शिक्षा अधिक सुलभ होगी। लेकिन आलोचकों का कहना है कि इससे कई छात्र इन कोर्सों में दाखिला नहीं ले पाएंगे और उन्हें महंगे प्राइवेट लोन का सहारा लेना पड़ सकता है।


ग्रैड प्लस लोन का अंत

बिल के तहत ग्रेजुएट छात्रों के लिए 'फेडरल ग्रैड प्लस लोन प्रोग्राम' को धीरे-धीरे समाप्त किया जाएगा। इससे मेडिकल, लॉ और अन्य पेशेवर कोर्स करने वाले छात्रों पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है। अमेरिकन काउंसिल ऑन एजुकेशन के वरिष्ठ अधिकारी जॉन फैनस्मिथ ने कहा कि यह बिल कई छात्रों के लिए मेडिकल स्कूल को असंभव बना देगा।


कम सैलरी वाले डिग्री प्रोग्राम पर प्रभाव

बिल के अनुसार, वे डिग्री प्रोग्राम जो छात्रों को पर्याप्त सैलरी नहीं दिलाते, वे संघीय छात्र सहायता के लिए योग्य नहीं रहेंगे। इससे उन कोर्सों पर असर पड़ेगा जो छात्रों को अपेक्षित आर्थिक लाभ नहीं दिला पा रहे हैं।


वर्किंग स्टूडेंट्स के लिए चुनौतियाँ

बिल में Medicaid (स्वास्थ्य योजना) में की गई कटौतियां और काम से जुड़ी नई शर्तें कम आय वाले छात्रों के लिए पढ़ाई, काम और पारिवारिक जिम्मेदारियों को संभालना और भी कठिन बना देंगी।


नॉन-डिग्री प्रोग्राम के लिए पेल ग्रांट

हालांकि, बिल में एक सकारात्मक बदलाव भी है। अब क्लाउड कंप्यूटिंग या फोर्कलिफ्ट ड्राइवर सर्टिफिकेशन जैसे शॉर्ट-टर्म ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के लिए पेल ग्रांट की सुविधा मिलेगी। यह बदलाव खासकर कम्युनिटी कॉलेजों और नॉनट्रेडिशनल छात्रों के लिए लाभकारी माना जा रहा है।


एंडोमेंट टैक्स पर ध्यान

बिल में विश्वविद्यालयों के एंडोमेंट फंड्स पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव भी है, जिसका उपयोग अक्सर स्कॉलरशिप और आर्थिक मदद के लिए किया जाता है। रिपब्लिकन सांसदों का तर्क है कि यह व्यवस्था शिक्षा संस्थानों की जवाबदेही तय करने के लिए आवश्यक है।


सरकार को 300 अरब डॉलर की बचत

कांग्रेसनल बजट ऑफिस का अनुमान है कि छात्र ऋण में किए गए इन बदलावों से अमेरिकी सरकार को अगले दस वर्षों में 300 अरब डॉलर से अधिक की बचत होगी।


आइवी लीग से बाहर भी असर

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यह बिल हार्वर्ड, कोलंबिया और पेन जैसे आइवी लीग कॉलेजों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका असर पूरे अमेरिकी उच्च शिक्षा तंत्र पर पड़ेगा।