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डोनाल्ड ट्रंप की जी-20 शिखर सम्मेलन में अनुपस्थिति: वैश्विक राजनीति पर प्रभाव

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेने का निर्णय लिया है, जिससे वैश्विक राजनीति में एक नया विभाजन उभर सकता है। दक्षिण अफ्रीका की भूमि सुधार नीति पर ट्रंप की नाराजगी और अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठते हैं। यह सम्मेलन पहली बार अफ्रीकी धरती पर हो रहा है, और ट्रंप की अनुपस्थिति से अमेरिका का नैतिक और कूटनीतिक नेतृत्व कमजोर हो सकता है। जानें इस निर्णय के पीछे के कारण और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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डोनाल्ड ट्रंप की जी-20 शिखर सम्मेलन में अनुपस्थिति: वैश्विक राजनीति पर प्रभाव

ट्रंप की अनुपस्थिति का कारण

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की कि वह इस महीने जोहानेसबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि "दक्षिण अफ्रीका को जी-20 का हिस्सा नहीं रहना चाहिए क्योंकि वहां की स्थिति बहुत खराब है।" ट्रंप की अनुपस्थिति में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अमेरिका का प्रतिनिधित्व करेंगे। उल्लेखनीय है कि दक्षिण अफ्रीका इस वर्ष जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है, और यह पहली बार है जब यह सम्मेलन अफ्रीकी महाद्वीप पर आयोजित हो रहा है। राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने इस आयोजन को "एकता, समानता और सतत विकास" पर केंद्रित बताया है.


दक्षिण अफ्रीका के प्रति ट्रंप की नाराजगी

ट्रंप की नाराजगी का मुख्य कारण दक्षिण अफ्रीका की सरकार द्वारा श्वेत अल्पसंख्यक, विशेषकर अफ्रीकानेर समुदाय के साथ भेदभाव का आरोप है। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की भूमि सुधार नीति को "श्वेत किसानों के उत्पीड़न" की नीति करार दिया है, जिसमें कुछ मामलों में बिना मुआवजे के भूमि अधिग्रहण की अनुमति दी गई है। ट्रंप ने इन किसानों को अमेरिका में शरण देने की पेशकश भी की थी। हालांकि, दक्षिण अफ्रीका ने ट्रंप के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि "श्वेत नरसंहार" जैसे दावे निराधार हैं।


जी-20 में अमेरिका की भूमिका

ट्रंप की अनुपस्थिति केवल एक व्यक्तिगत या राजनीतिक विरोध नहीं है, बल्कि यह एक सामरिक संकेत भी है। अमेरिका ने पारंपरिक रूप से जी-20 जैसे मंचों का नेतृत्व किया है, लेकिन ट्रंप का यह कदम दर्शाता है कि वे बहुपक्षीय कूटनीति की बजाय "राष्ट्रहित-प्रथम" नीति को प्राथमिकता देते हैं। उनकी अनुपस्थिति से अमेरिका का नैतिक और कूटनीतिक नेतृत्व कमजोर होगा, और चीन इस अवसर का लाभ उठाकर अफ्रीकी देशों में अपनी आर्थिक पकड़ मजबूत कर सकता है.


जी-20 का महत्व और प्रभाव

जी-20 एक औपचारिक संस्था नहीं है, बल्कि यह एक "परामर्श मंच" है जो वैश्विक स्थिरता और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देता है। ट्रंप का बयान कि "दक्षिण अफ्रीका को जी-20 में नहीं होना चाहिए" का कोई वास्तविक असर नहीं पड़ेगा, लेकिन यह मंच की एकजुटता को कमजोर कर सकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका की असहयोग के कारण जी-20 की कई बैठकों में सहमति नहीं बन सकी थी।


अफ्रीकी महाद्वीप पर जी-20 का आयोजन

यह शिखर सम्मेलन पहली बार अफ्रीकी धरती पर हो रहा है। यदि अमेरिका जैसे प्रमुख देश इसे बहिष्कृत करते हैं, तो यह विकासशील देशों की आवाज़ को कमजोर करने वाला कदम माना जाएगा। ट्रंप की जी-20 से दूरी इस संबंध को और ठंडा करेगी। इसके अलावा, ट्रंप के निर्णय से दक्षिण अफ्रीका के नेतृत्व में अफ्रीकी देश अमेरिका के खिलाफ एकजुट हो सकते हैं, जो "वैश्विक दक्षिण" की नई शक्ति-संरचना को जन्म दे सकता है.


जी-20 का भविष्य

जी-20 की स्थापना 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद हुई थी, जिसका उद्देश्य वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सहयोग था। लेकिन अब यह मंच केवल आर्थिक नहीं, बल्कि वैचारिक ध्रुवीकरण का भी प्रतिबिंब बनता जा रहा है। ट्रंप का निर्णय इस मंच को 'जी-20 बनाम जी-10' जैसी विभाजन रेखाओं की ओर धकेल सकता है।


निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप का जी-20 से अनुपस्थित रहना केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं है, बल्कि यह विश्व राजनीति में एक नए वैचारिक विभाजन का संकेत है। अफ्रीकी महाद्वीप पर पहली बार आयोजित यह सम्मेलन अब अमेरिकी असहमति की छाया में आ गया है। जी-20 की स्थिरता इस पर निर्भर करेगी कि क्या अन्य सदस्य देश, विशेषकर यूरोपीय संघ, भारत और चीन, इस मंच को समावेशी बनाए रख सकते हैं.