ड्रोन युद्ध में नई तकनीक: जर्मनी और चीन के नवीनतम विकास
ड्रोन का बढ़ता महत्व
ड्रोन का उपयोग अब युद्ध के मैदान में एक महत्वपूर्ण हथियार के रूप में उभर रहा है, चाहे वह भारत का ऑपरेशन सिंदूर हो या रूस-यूक्रेन संघर्ष। हाल के वर्षों में, कई देशों ने ड्रोन हमलों को प्राथमिकता दी है। एक रक्षा कंपनी ने अब कॉकरोच और AI आधारित मानवरहित हथियारों के विकास की दिशा में कदम बढ़ाया है।यूरोप में रक्षा खर्च में वृद्धि
रूस-यूक्रेन युद्ध ने यूरोप को यह समझने पर मजबूर कर दिया है कि अमेरिका और नाटो पर निर्भर रहना सुरक्षित नहीं है। इस कारण, जर्मनी ने अपने रक्षा खर्च को 2029 तक तिगुना बढ़ाकर 162 अरब यूरो प्रति वर्ष करने का निर्णय लिया है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, जर्मनी ने सीमित सैन्य संसाधनों के साथ काम किया, लेकिन अब स्थिति बदल गई है।
नवीनतम तकनीकी विकास
जर्मन सरकार ने सैन्य स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता प्रदान करना शुरू कर दिया है, जिससे जासूसी कॉकरोच और AI-आधारित टैंकों का उत्पादन हो रहा है। स्वार्म बायोटैक्टिस नामक एक कंपनी असली कॉकरोचों को छोटे बैकपैक और कैमरे के साथ तैयार कर रही है, ताकि वे दुश्मन के क्षेत्र में डेटा इकट्ठा कर सकें।
चीन का मच्छर आकार का ड्रोन
चीन ने भी मच्छर के आकार का एक नया सैन्य ड्रोन विकसित किया है, जो युद्ध के मैदान में तबाही मचाने के लिए तैयार है। यह ड्रोन लोगों की बातचीत सुनने और निगरानी करने के लिए उपयुक्त है। इसे राष्ट्रीय रक्षा प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की रोबोटिक्स प्रयोगशाला में विकसित किया गया है।