तमिलनाडु में भाषा विवाद: मंत्री के बयान ने बढ़ाई राजनीतिक हलचल

तमिलनाडु में भाषा विवाद की नई लहर
Language Controversy in Tamil Nadu: तमिलनाडु में एक बार फिर सांस्कृतिक और भाषा विवाद ने जोर पकड़ लिया है। राज्य के एक प्रमुख मंत्री ने संस्कृत मंत्रों का मजाक उड़ाते हुए एक विवादास्पद बयान दिया, जिसने सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में हंगामा मचा दिया है। इस बयान ने न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत किया है, बल्कि संस्कृत भाषा के महत्व और इसके उपयोग पर भी नई बहस को जन्म दिया है। मंत्री ई.वी. वेलु का यह बयान, जिसमें उन्होंने संस्कृत मंत्रों पर सवाल उठाया, अब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। इस विवाद ने सत्तारूढ़ द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) और विपक्षी दलों, विशेषकर भारतीय जनता पार्टी (BJP), के बीच तनाव को बढ़ा दिया है।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
तमिलनाडु के लोक निर्माण विभाग के मंत्री ई.वी. वेलु ने हाल ही में एक सार्वजनिक समारोह में संस्कृत मंत्रों पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "संस्कृत मंत्रों को आखिर कौन समझ पाता है?" यह बयान एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान आया, जहां संस्कृत मंत्रों का उच्चारण किया जा रहा था। मंत्री ने यह भी सवाल उठाया कि क्या कोई व्यक्ति संस्कृत में प्रेम का इजहार कर सकता है?
संस्कृत का महत्व
संस्कृत, जिसे देववाणी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति और धर्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल धार्मिक ग्रंथों और मंत्रों की भाषा है, बल्कि प्राचीन भारतीय ज्ञान, दर्शन, और विज्ञान का आधार भी है। तमिलनाडु में संस्कृत के उपयोग को लेकर पहले भी कई विवाद उठ चुके हैं, और यह बयान उस बहस को और बढ़ावा देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के बयान भाषा और सांस्कृतिक एकता को नुकसान पहुंचाते हैं।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
इस बयान ने राजनीतिक दलों के बीच तीखी बहस को जन्म दिया है। बीजेपी ने इसे तमिलनाडु सरकार की "हिंदू विरोधी" नीतियों का हिस्सा बताते हुए कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, "यह बयान न केवल संस्कृत का अपमान है, बल्कि उन लाखों लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाता है जो इसे पवित्र मानते हैं।" दूसरी ओर, डीएमके ने इस मुद्दे को तूल न देने की अपील की और कहा कि यह बयान केवल एक व्यक्तिगत राय थी, न कि पार्टी का आधिकारिक रुख। इस विवाद ने एक बार फिर तमिलनाडु में भाषा और संस्कृति के प्रति संवेदनशीलता को उजागर किया है।