तमिलनाडु में राजनीति और फिल्म उद्योग का गहरा संबंध

राजनीति और फिल्म उद्योग का संगम
दक्षिण भारत के राज्यों में, विशेषकर तमिलनाडु में, फिल्म और राजनीति के बीच गहरा संबंध है। पिछले कई दशकों से, फिल्म उद्योग से जुड़े व्यक्तियों और उनके परिवारों का राजनीतिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान रहा है। वर्तमान मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के पिता, एम करुणानिधि, कई बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वे भी तमिल सिनेमा से जुड़े थे। इसी तरह, अन्ना डीएमके के संस्थापक एमजी रामचंद्रन और उनकी उत्तराधिकारी जयललिता, जो खुद एक फिल्मी सितारा थीं, ने भी राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कई अन्य फिल्मी हस्तियों जैसे कैप्टेन विजयकांत, थलपति विजय, रजनीकांत और कमल हसन ने भी राजनीतिक क्षेत्र में कदम रखा है। इस प्रकार, तमिलनाडु की राजनीति पर फिल्म उद्योग का गहरा प्रभाव है। हाल ही में, पीएमके पार्टी के संस्थापक रामदॉस के परिवार में एक दिलचस्प फिल्मी ड्रामा चल रहा है।
परिवार में विवाद और राजनीतिक उत्तराधिकार
रामदॉस ने अपने बेटे अंबुमणि को पार्टी से बाहर कर दिया है। पिछले कुछ समय से पार्टी के नियंत्रण को लेकर संघर्ष चल रहा था, और ऐसा लग रहा था कि चुनाव से पहले यह मामला सुलझ जाएगा। लेकिन यह उलझता जा रहा है। इस विवाद की कहानी भी फिल्मी है। रामदॉस के करीबी अंबुमणि और उनकी पत्नी सौम्या को 'गैंग ऑफ टू' कहा जाता है। दूसरी ओर, 86 वर्षीय रामदॉस, उनकी 77 वर्षीय पत्नी सरस्वती, बड़ी बेटी गांधीमति और गांधीमति के बेटे परशुरमन मुकुंदन हैं। लेकिन इनमें से कोई भी मुख्य किरदार नहीं है। मुख्य किरदार रामदॉस की दूसरी पत्नी सुशीला मानी जा रही हैं। कहा जा रहा है कि सुशीला के कारण पिता और पुत्र के बीच विवाद उत्पन्न हुआ। अंबुमणि, जो रामदॉस की राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी थे, केंद्र में स्वास्थ्य मंत्रालय का कार्यभार संभाल चुके हैं। लेकिन सुशीला ने पिता और पुत्र के बीच दूरी बना दी है। अब सुशीला ने रामदॉस की पहली पत्नी की बेटी गांधीमति के बेटे मुकुंदन को आगे बढ़ाया है। इस पर दांव लगाया जा रहा है कि पीएमके का उत्तराधिकारी कौन बनेगा, अंबुमणि या मुकुंदन?