ताइवान की सुरक्षा को लेकर राष्ट्रपति विलियम लाई का महत्वपूर्ण बयान
चीन के खतरे के खिलाफ ताइवान की रक्षा रणनीति
राष्ट्रपति विलियम लाई ने हाल ही में कहा कि ताइवान को चीन की आक्रामकता का सामना करने के लिए अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार बढ़ाना होगा। ताइपे टाइम्स के अनुसार, उन्होंने यह भी बताया कि शांति बनाए रखने के लिए शक्ति का होना आवश्यक है। एक साक्षात्कार में, लाई ने ताइवान पर संभावित चीनी हमले के खतरे पर चर्चा की, जिसमें उन्होंने अमेरिकी रक्षा अधिकारियों के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी को 2027 तक ताइवान पर आक्रमण के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है।
चीन के आक्रमण की तैयारी और ताइवान की प्रतिक्रिया
लाई ने कहा कि यदि चीन 2027 में ताइवान पर आक्रमण करने का इरादा रखता है, तो ताइवान को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चीन के लिए इस लक्ष्य को पूरा करना कठिन बनाना होगा। उन्होंने यह भी बताया कि चीन का ताइवान को अपने साथ मिलाने का प्रयास एक दीर्घकालिक राष्ट्रीय नीति है, और उन्होंने 1949 के गुनिंगतोऊ युद्ध और 1958 के ताइवान जलडमरूमध्य संकट का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि ताइवान ने अपनी सुरक्षा बनाए रखी है क्योंकि चीन के पास कार्रवाई करने की क्षमता नहीं रही है।
शांति के लिए ठोस शक्ति की आवश्यकता
लाई ने यह भी कहा कि शांति समझौतों या हमलावर की सद्भावना पर निर्भर रहने के बजाय, इसे ठोस शक्ति द्वारा समर्थित होना चाहिए। उन्होंने ऐतिहासिक उदाहरणों का हवाला देते हुए कहा कि बिना ठोस आधार के बातचीत अक्सर आत्मसमर्पण में बदल जाती है। इसके अलावा, उन्होंने ताइवान की सुरक्षा के महत्व पर वैश्विक सहमति को भी रेखांकित किया, यह बताते हुए कि जी7 नेताओं ने ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता को वैश्विक सुरक्षा और समृद्धि के लिए आवश्यक बताया है।
