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तारिक रहमान की बांग्लादेश में वापसी: चुनावी राजनीति में नया मोड़

तारिक रहमान, जो 17 साल बाद बांग्लादेश लौटे हैं, आगामी आम चुनावों में प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार हैं। उनकी वापसी के साथ ही बांग्लादेश की राजनीति में नई हलचल देखने को मिल रही है। रणधीर जायसवाल ने भारत के समर्थन की पुष्टि की है, जबकि देश में राजनीतिक अस्थिरता और चुनावी प्रतिबंधों का सामना किया जा रहा है। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की कहानी और बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति के बारे में।
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तारिक रहमान की बांग्लादेश में वापसी: चुनावी राजनीति में नया मोड़

तारिक रहमान की वापसी और भारत का समर्थन

बीएनपी के नेता तारिक रहमान की बांग्लादेश में वापसी पर रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत बांग्लादेश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का समर्थन करता है। उन्होंने इस घटनाक्रम को इसी संदर्भ में देखने की आवश्यकता बताई। जायसवाल ने यह भी कहा कि भारत बांग्लादेश की जनता के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। वे बांग्लादेश में शांति और स्थिरता के पक्षधर हैं और लगातार स्वतंत्र, निष्पक्ष, समावेशी और सहभागी चुनावों की मांग करते रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बांग्लादेश की राजनीति में 17 साल बाद एक पुराना चेहरा लौट आया है।


तारिक रहमान, जो बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे हैं, 17 साल बाद अपने देश लौटे हैं। ढाका में उनके स्वागत के लिए एक लाख से अधिक पार्टी कार्यकर्ता एकत्र हुए।


आगामी चुनावों में तारिक रहमान की भूमिका

बांग्लादेश में अगले साल 12 फरवरी को होने वाले आम चुनावों में 60 वर्षीय तारिक रहमान प्रधानमंत्री पद के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। उन्होंने अपनी पहली रैली में कहा कि बांग्लादेश सभी धर्मों के लोगों का देश है। उनकी पार्टी एक सुरक्षित बांग्लादेश बनाने की दिशा में काम करना चाहती है, जहां महिलाएं, पुरुष और बच्चे सुरक्षित रूप से अपने घरों से बाहर जा सकें और वापस लौट सकें। उन्होंने देश में शांति स्थापित करने और एक नए बांग्लादेश के निर्माण का वादा किया।


राजनीतिक अस्थिरता और चुनावी प्रतिबंध

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। ऐसे में तारिक रहमान पीएम पद के प्रमुख दावेदार बन गए हैं। उनकी वापसी उस समय हुई है जब देश में दो प्रमुख युवा नेताओं की हत्या के बाद राजनीतिक अस्थिरता और अशांति की नई लहर चल रही है, जिसने पूरे बांग्लादेश को प्रभावित किया है।